पहलगाम हमले के बाद जिस तरह भारत में आक्रोश है और सरकार पर कोई बड़ी कार्रवाई करने का जन-दबाव बन रहा है, उसे देखते हुए पाकिस्तान में घबराहट है। उसने घटना के बाद सीमा पर हवाई गश्ती और चौकियों पर सैनिक दस्ते बढ़ा दिए। हालांकि वह लगातार कह रहा है कि उस हमले में उसका कोई हाथ नहीं था, उसकी जांच की पेशकश भी कर रहा है, पर वहां की सेना जिस तरह बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रही है, उससे जाहिर है कि वह भारतीय सैनिकों को उकसाने की कोशिश कर रही है।
पहलगाम हमले के बाद से वह चार बार गोलीबारी कर चुकी है। हालांकि आमतौर पर छोटे हथियारों से गोलीबारी की जाती है, तो उसका यही मतलब होता है कि दुश्मन देश सीमा पर अपने सैनिकों की मुस्तैदी का संकेत दे रहा है। बताने का प्रयास कर रहा है कि वह किसी भी तरह की चुनौती से निपटने को तैयार है। मगर पाकिस्तानी सेना साजिशन ऐसा करती है। अक्सर वह अपने प्रशिक्षित आतंकवादियों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने के मकसद से इस तरह गोलीबारी करती है। इस तरह वह अनेक बार संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन कर चुकी है।
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी से यह शक गहरा होता है कि उसकी साजिश में कहीं न कहीं उसका हाथ है। यह छिपी बात भी नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में मुख्य रूप से पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजंसी का हाथ है। इसके अनेक प्रमाण मौजूद हैं। भारत सरकार अनेक आतंकी हमलों से जुड़े प्रमाण पाकिस्तान सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सौंप चुकी है।
मगर पाकिस्तान हर दस्तावेज को सिरे से खारिज करता रहा है। वह खुद दहशतगर्दी के गहरे जख्म झेल चुका है, पर इस पर नकेल इसलिए नहीं कस पाता कि वहां निर्णय करने का कोई व्यवस्थित तंत्र नहीं है। वहां की सेना ने सियासी हुकूमत के ऊपर अपना वर्चस्व बना लिया है। इसलिए सरकार के स्तर पर लिया गया कोई भी निर्णय सेना अपनी मर्जी से स्वीकार या अस्वीकार करती है।
दरअसल, आतंकवाद को वहां की सेना ने अपना हथियार बना लिया है और उसका इस्तेमाल वह मुख्य रूप से भारत के खिलाफ करती रही है। ऐसा लगता है कि इसी से उसका वजूद बचा और बना हुआ है। वह भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां चला कर उकसाने और सीमा पर तनाव बनाए रख कर पाकिस्तानी अवाम को बरगलाने में कामयाब होती रही है।
आतंकवाद और भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्ते पाकिस्तान सरकार को भी रास आते हैं। इस तरह वह बुनियादी समस्याओं की तरफ से वहां के लोगों का ध्यान भटकाने में कामयाब हो जाती है। पाकिस्तान पूरी तरह से विफल राष्ट्र है। उसकी माली हालत निहायत खस्ता हो चुकी है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं दुर्दशा झेल रही हैं।
लोगों को दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। उधर बलूचिस्तान के विद्रोही संगठन रोज उसे गंभीर चुनौती पेश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत के साथ सीमा पर तनाव से बुनियादी समस्याओं पर कुछ समय के लिए पर्दा पड़ जाता है। मगर इस तरह वहां की सरकार बहुत लंबे समय तक अपनी कमजोरियों को ढंक कर नहीं रख सकती। फिर, चीन से उसे जो मदद मिल रही है, वह स्थायी नहीं है। अपना स्वार्थ सधते ही वह अपना हाथ खींच लेगा।