आतंकवादी पिछले कुछ वर्षों से अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देने के लिए पारंपरिक तरीके के बजाय आधुनिक तकनीक का सहारा लेने लगे हैं। खासकर इंटरनेट के जरिए विभिन्न तरह की मदद हासिल करना उनके लिए आसान और सुलभ तरीका बन गया है। वैश्विक आतंकवाद वित्तपोषण निगरानी संस्था एफएटीएफ ने भी चौंकाने वाला खुलासा किया है कि आतंकी धन जुटाने और हिंसक वारदातों के लिए आनलाइन सेवाओं का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग कर रहे हैं। फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में इस्तेमाल विस्फोटक पदार्थ का एक हिस्सा आनलाइन कारोबारी मंच से खरीदा गया था। यही नहीं, आतंकी बम बनाने की विधि भी इंटरनेट से सीख रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है। हाल के वर्षों में हुए कई आतंकी हमलों की जांच में इसके प्रमाण मिले हैं। इससे साफ है कि आनलाइन सेवाओं का दुरुपयोग किस कदर खतरनाक रूप ले चुका है।

एफएटीएफ की रपट में कहा गया है कि आतंकवादी अपने हिंसक अभियानों के लिए उपकरण, हथियार, रसायन और यहां तक की ‘थ्री डी-प्रिंटिंग’ सामग्री की खरीदारी भी आनलाइन सेवाओं के जरिए कर रहे हैं। यह बात सही है कि आनलाइन खरीदारी की व्यवस्था से लोगों को काफी सहूलियत हुई है, लेकिन इस सुविधा का उपयोग खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए न हो, इस पर कड़ी नजर रखना जरूरी है। निगरानी तंत्र के अभाव में आतंकवादियों और उनके सहयोगियों द्वारा आनलाइन सेवाओं का इस्तेमाल हिंसक अभियानों के वित्तपोषण के लिए करने की संभावनाओं से भी अब इनकार नहीं किया जा सकता है।

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इंटरनेट पर विस्फोटक पदार्थ तैयार करने की तकनीक से जुड़ी सामग्री का होना भी चिंता का विषय है। सरकार और संबंधित प्राधिकारियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाना होगा। साथ ही आनलाइन सेवा प्रदाता मंचों की भी यह जिम्मेदारी है कि वे इस तरह की सामग्री की नियमित निगरानी करें, ताकि इसके दुरुपयोग पर रोक सुनिश्चित हो सके।

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एफएटीएफ का यह खुलासा भी अहम है कि आतंकवादी संगठनों को कुछ देशों की सरकारों से वित्तीय और अन्य मदद मिल रही है, जिनमें साजो-सामान और सामग्री संबंधी सहायता एवं प्रशिक्षण भी शामिल है। भारत समेत कई देश आतंकवाद के खात्मे के लिए एकजुट प्रयासों पर बल दे रहे हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा देशों द्वारा आतंकियों के वित्तपोषण से इस पर पलीता लग रहा है। इससे पहले जून में वैश्विक निगरानी संस्था ने अपनी रपट में कहा था कि पहलगाम आतंकी हमला किसी वित्तीय मदद के बिना संभव नहीं था।

इससे आतंकवाद का समर्थन करने की पाकिस्तान की नापाक नीति फिर से जगजाहिर हो गई है। यह बात छिपी नहीं है कि पाकिस्तान आतंकियों का पालन-पोषण कर उन्हें हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। हालांकि, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुद को आतंकवाद पीड़ित देश बता कर इससे इनकार करता रहा है, लेकिन भारत ने कई बार सबूतों के साथ वैश्विक समुदाय के समक्ष यह बात साबित की है कि सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों की साजिश पाकिस्तान में रची जाती है। इसी आधार पर भारत ने पाकिस्तान को फिर से एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में शामिल करने की वकालत की है।