भारत में जिस तरह लोगों की जीवन शैली बदली है, उसके दुष्परिणाम अब सामने आने लगे हैं। मोटापा उनमें से एक है। इस समस्या ने बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। शहरों में रहने वाली लगभग एक तिहाई आबादी मोटापे की शिकार है। इसे अब महज वजन बढ़ने के रूप में नहीं लिया जा सकता। मोटापे की वजह से जिस तरह हृदयरोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं, वह चिंता का विषय है। इसने कैंसर के जोखिम तक को बढ़ा दिया है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो दशकों में भारत में मोटापे की दर लगभग दोगुनी हो गई है। यह किस कदर जानलेवा हो सकता है इसे लेकर प्रधानमंत्री ने जो चिंता जताई है, उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।
उन्होंने देश के नागरिकों को आगाह किया है कि वर्ष 2050 तक चौवालीस करोड़ से अधिक भारतीय मोटापे से ग्रस्त हो जाएंगे। निस्संदेह यह आंकड़ा डरावना है। तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि अब बच्चे भी मोटापे का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रपट के मुताबिक बचपन और किशोरावस्था में मोटापा भविष्य में उनके जीवन की गुणवत्ता और जीवन प्रत्याशा को कमजोर कर देता है।
हर उम्र के लोग हो रहे मोटापा का शिकार
यह कितना बड़ा संकट है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि आने वाले समय में हर परिवार में कोई एक मोटापे से ग्रस्त होगा। ऐसी स्थिति को टालने के लिए ही प्रधानमंत्री नागरिकों को जागरूक करना चाहते हैं। आज मोटापे की वजह से न केवल युवा, बल्कि सभी उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं, तो इसके मूल कारणों को समझने और सजग होने की जरूरत है।
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हम अपनी कुछ आदतें बदल लें, तो खुद को मोटापे से बचा सकते हैं। दरअसल, तैलीय, डिब्बाबंद भोजन तथा शारीरिक गतिविधियां कम होने से देश में मोटापे की समस्या पुरुषों और महिलाओं में समान रूप से बढ़ी है। जाहिर है कि अब यह समस्या व्यक्तिगत नहीं रह गई है। भविष्य में मोटापे के शिकार होने वालों की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए समाज और पूरे देश के लिए विचारणीय सवाल है कि हम इस समस्या से कैसे बाहर निकलेंगे?