प्रकृति की अपनी गति होती है, लेकिन दुख की बात है कि उसकी लय पिछले कुछ वर्षों में बिखरने लगी है। पिछले कुछ दिनों में देश के अलग-अलग हिस्से में कहीं तेज आंधी चली, तो कहीं मूसलाधार बारिश ने कहर बरपाया। दरअसल, वैश्विक ताप बढ़ने के साथ न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में मौसम का चक्र टूट रहा है। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में अप्रत्याशित आंधी-बारिश आई। राजधानी सहित देशभर के ज्यादातर हिस्से में जहां मई में भीषण गर्मी पड़ती है, वहीं इस बार मौसम इस कदर बदला कि लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि यह बारिश का मौसम है या गर्मी का।

मौसम विभाग ने ही बताया कि पिछले शनिवार को हुई बारिश ने 125 वर्ष का रेकार्ड तोड़ दिया। कई जगहों पर पेड़ उखड़ गए और रिहाइशी इलाकों में भी काफी नुकसान हुआ। राजधानी में तेज आंधी और बारिश के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इसे सहज माना जाए या फिर जलवायु परिवर्तन की चेतावनी समझा जाए।

केरल में इस बार समय से पहले मानसून ने दे दी है दस्तक

हाल ही में बंगलुरु में लगातार बारिश से जन-जीवन थम-सा गया। घरों में पानी घुस गया। सड़कों पर नावें भी चलीं। महाराष्ट्र में भी कमोबेश यही स्थिति पैदा हुई। दूसरी ओर मानसून ने केरल में इस बार समय से पहले दस्तक दे दी है। हैरत की बात यह है कि कोई पंद्रह साल बाद यह सबसे जल्दी आया है। यह आमतौर पर एक जून को आता है, लेकिन इस वर्ष यह न केवल पहले आया, बल्कि देखते ही देखते कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर भी छा गया।

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भारत में मौसम के बदलते मिजाज की यह नई तस्वीर है। हालांकि मौसम विशेषज्ञों का मानना था कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं से मौसम बदला। मगर इसके बाद मौसम इस कदर पलटेगा और भयावह तूफान आएगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। विचित्र बात है कि एक ओर दक्षिण-पश्चिम भारत में बारिश हो रही है, तो उत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत के कई राज्य भीषण गर्मी की चपेट में हैं। कहीं तेज हवाएं चलने के कारण लोगों को सतर्क किया जा रहा है, तो कहीं आंधी चलने की चेतावनी जारी की जा रही है। मौसम के बदलते तेवर के जोखिम से जनहानि का अंदेशा भी बना रहता है। वहीं रेल और हवाई यातायात पर असर पड़ता है। पिछले दिनों कई उड़ानों के मार्ग बदलने पड़े।

आमतौर पर सर्दियों में पश्चिमी विक्षोभ की वजह से होती है बारिश

दरअसल, पश्चिमी विक्षोभ आमतौर पर सर्दियों में बारिश की वजह बनता है। अगर यह मई के महीने बारिश की वजह बन रहा है, तो इसे गंभीरता से समझने की जरूरत है। समय पूर्व और तीव्रता से आंधी-बारिश जैसी परिस्थितियां जलवायु परिवर्तन की वजह से तो नहीं हो रही है? मौसम विज्ञानी पहले से ही चेतावनी देते रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि बढ़ते वैश्विक तापमान ने वायुमंडल की नमी धारण करने की क्षमता बढ़ा दी है।

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नतीजा यह कि मौसम अब तेजी से बदलने लगा है। उत्तर भारत में जिस तरह तापमान बढ़ा है, वह असहनीय है। गर्म दिनों की तुलना में गर्म रातें बढ़ने की खबरों ने पहले से ही चिंता बढ़ा दी है। आने वाले वर्षों में मौसम की तस्वीर कैसी होगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। आंधी-तूफान या घनघोर बारिश प्रकृति का चक्र हो सकता है, लेकिन अगर इसे ध्यान में रख कर बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए, तो मौसम के बिगड़े मिजाज से होने वाले नुकसान को कम जरूर किया जा सकता है।