वर्ष 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमलों की याद आज भी दिल दहला जाती है। तब जो हुआ था, उसे दुनिया का सबसे बर्बर आतंकी हमला माना जा सकता है। उसके बाद उसमें शामिल आतंकवादियों को पकड़ने से लेकर सजा तक पहुंचाने को लेकर समूचे सरकारी तंत्र ने जितना संभव हो सका, किया। मगर अब भी कुछ ऐसे आतंकी देश के कानूनी दायरे से बाहर हैं, जो किसी तरह अन्य देशों में भाग गए, उन्हें वापस लाने के लिए वहां की कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा था।

भारत हर स्तर पर उन अपराधियों को सजा दिलाने की कोशिश करता रहा है। मुंबई हमले के एक अभियुक्त तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जाने की मांग उनमें से एक थी। तहव्वुर राणा इस मांग का विरोध कर रहा था और उसने अमेरीकी सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। मगर अब राणा की भारत को प्रत्यर्पित करने संबंधी पुनर्विचार याचिका को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस तरह राणा को भारत लाकर उस पर कानूनी प्रक्रिया चलाने का रास्ता साफ हो गया है।

जल्द से जल्द भारत लाने की होगी प्रक्रिया

मुंबई हमले में जिनके परिजन मारे गए थे, उनकी पीड़ा जगजाहिर है। अजमल कसाब को उसके किए की सजा मिल चुकी है। हमले का एक आरोपी पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा अभी अमेरिका की जेल में है। दरअसल, राणा को अपने दोस्त डेविड कोलमैन हेडली के साथ मुंबई हमले में भागीदारी करने और इसके बाद डेनमार्क में आतंकी हमले की योजना बनाने का दोषी पाया गया था। लेकिन मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमलों के संदर्भ में उसकी भूमिका के मद्देनजर भारत अपनी अदालत में उस पर मामला चलाना चाहता है।

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यह भी सच है कि हमले के बाद इतना लंबे वक्त तक अगर उसे भारत लाकर मुकदमा चलाना संभव नहीं हो पाया, तो उसकी वजह यही होगी कि समय पर कूटनीतिक पहल नहीं हुई। अब अगर उसके भारत में प्रत्यर्पण की स्थिति बनी है तो सरकार को कोई अन्य और नई अड़चन खड़ी होने से पहले उसे भारत लाकर कानून के कठघरे में खड़ा करना चाहिए और शीघ्र इंसाफ सुनिश्चित करना चाहिए।