इससे ज्यादा त्रासद और शर्मनाक और क्या होगा कि जिस समय कोलकाता में प्रशिक्षु चिकित्सक की बलात्कार और हत्या की घटना पर समूचे देश में दुख और आक्रोश का भाव है, उस समय भी देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। लगता है, न तो अपराधियों के भीतर कोई खौफ रह गया है और न सरकारों को इस बात की जरूरत लगती है कि महिला सुरक्षा को लेकर चौकसी बढ़ाई जाए।
सरेआम घटना से कानून-व्यवस्था पर उठे सवाल
मध्यप्रदेश के उज्जैन में हाल ही में सरेआम सड़क किनारे बलात्कार की एक घटना ने राज्य में सरकारी तंत्र और वहां की खोखली सुरक्षा व्यवस्था की हकीकत जाहिर की थी। मगर सरकार को कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत नहीं लगी। अब इंदौर जिले के महू में एक पर्यटन स्थल जामगेट पर मंगलवार देर रात सेना के दो प्रशिक्षु अफसरों और उनके साथ गई महिला मित्रों से लूट और एक महिला से कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार की खबर सामने आई है। यह घटना एक बार फिर यही दर्शाती है कि अपराधी तत्त्व राज्य में खुलेआम खूम रहे हैं और कानून-व्यवस्था एक तरह से निष्क्रिय है।
हैरानी की बात यह है कि महू में लूटपाट और कथित बलात्कार की घटना जिस जगह हुई, वह सेना के ‘फायरिंग रेंज’ में है और उसे पर्यटन स्थल के तौर पर भी जाना जाता है। वहां सात-आठ अपराधियों के एक समूह ने सेना के दो प्रशिक्षु अफसरों और उनकी दो महिला मित्रों पर हमला कर दिया। हत्या की धमकी देते हुए उनसे दस लाख रुपए मांगे और एक महिला से कथित तौर पर बलात्कार किया।
यों तो मध्य प्रदेश सरकार महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में खुद को बेहद संवेदनशील बताती रही है, अपराधियों के खिलाफ अधिकतम सख्ती बरतने और कड़ी सजा दिलाने का दावा करती है, मगर हकीकत यह है कि वहां महिलाएं कहीं भी खुद को सुरक्षित नहीं पा रहीं। सवाल है कि जब सेना के प्रशिक्षु अफसरों के खिलाफ और ‘फायरिंग रेंज’ जैसे सुरक्षित माने जाने वाले इलाके में भी अपराधी बेखौफ जघन्य वारदात को अंजाम दे सकते हैं, तो राज्य में आम लोग कितने सुरक्षित हैं!