कोलकाता चिकित्सक बलात्कार और हत्याकांड पर उभरे जनाक्रोश को ममता बनर्जी विपक्षी दलों का उकसावा बता कर अपना बचाव करने की कोशिश करती रही हैं। केंद्र सरकार पर आरोप लगाती रही हैं कि वह पश्चिम बंगाल में अव्यवस्था फैलाने का प्रयास कर रही है। इसे लेकर उन्होंने खुद एक रैली भी निकाली थी। मगर अब उन्हें अपने ही लोगों के सवालों का जवाब देना भारी पड़ रहा है। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जवाहर सरकार ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है।

जवाहर सरकार ने पार्टी में चल रही गलत गतिविधियों पर पहले भी दर्ज कराई आपत्ति

उन्होंने लिखा है कि कोलकाता चिकित्सक मामले में राज्य सरकार ने काफी देर से और अपर्याप्त कदम उठाए। इससे उनका पार्टी और मुख्यमंत्री के कामकाज से मोहभंग हो गया है। मुख्यमंत्री राज्य सरकार के भ्रष्टाचार और नेताओं के एक वर्ग के बल प्रयोग की रणनीति से बिल्कुल बेपरवाह हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब जवाहर सरकार ने पार्टी में चल रही गलत गतिविधियों पर आपत्ति दर्ज कराई। हालांकि एक पार्टी प्रवक्ता ने कहा है कि जवाहर सरकार के उठाए मुद्दों पर पार्टी ध्यान देगी और सकारात्मक कदम उठाएगी। मगर ममता बनर्जी इस पर कितनी गंभीरता दिखाएंगी, फिलहाल कहना मुश्किल है।

कोलकाता चिकित्सक हत्या मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भी कुछ तीखे सवाल किए थे। उनमें सबसे अहम सवाल है कि घटना के बाद कार्रवाई करने में देर क्यों की गई। हालांकि ममता बनर्जी कहती रहीं कि वे आंदोलनकारियों की भावनाओं की कद्र करती हैं। उन्होंने शुरू में ही सीबीआइ जांच पर सहमति दे दी थी। कुछ संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने माना है कि मामले की जांच सही दिशा में चल रही है। मगर जांचों में जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं, उससे राज्य सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठते हैं। उसमें गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई हैं।

इसके बावजूद अगर मुख्यमंत्री विरोध प्रदर्शनों में राजनीति देख रही हैं, तो इससे उनके मामले पर पर्दा डालने की कोशिश ही पता चलती है। घटना के इतने दिन बीत जाने के बाद और सर्वोच्च न्यायालय की दखल के बावजूद अगर वहां विरोध प्रदर्शन नहीं रुक रहे, चिकित्सक अपने काम पर नहीं लौटे हैं, तो उनकी नाराजगी स्वत:स्फूर्त है। वह अनेक अनियमितताओं और सरकार की गलत नीतियों या फैसलों, कार्यशैली से पैदा हुई है। उसे सियासी चश्मे से देखने से स्थितियां बदल नहीं जाएंगी।

यह छिपी बात नहीं है कि ममता सरकार पर कई गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे। शिक्षा घोटाले में उनके मंत्री को जेल जाना पड़ा, कोयला खदान में अनियमितता के आरोप खुद उनके भतीजे पर हैं। फिर उनके पार्टी कार्यकर्ता किस तरह सरकारी योजनाओं का फायदा उठाते और लोगों को डरा-धमका कर अपने पक्ष में करने की कोशिश करते रहे हैं, इसके भी कई उदाहरण हैं।

इन सबके चलते अगर पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य का मोहभंग हुआ है, तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि आम लोगों में किस तरह की प्रतिक्रिया उभरती होगी। इसलिए जवाहर सरकार का इस्तीफा और चिट्ठी ममता बनर्जी के लिए अपनी कार्यशैली के मूल्यांकन का अवसर है। अगर इसे भी वे सियासी चश्मे से देखने का प्रयास करेंगी, तो सुधार का मौका गंवा देंगी। चिकित्सक बलात्कार और हत्या मामले के बाद ममता बनर्जी सरकार पर लोगों का भरोसा काफी कमजोर हुआ है। उसे कैसे फिर से हासिल करना है, यह उन्हें ही तय करना होगा।