जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में तीन जवानों की शहादत ने फिर यही दर्शाया है कि इस इलाके में आतंकवाद की जड़ें अभी गहरी हैं और उसके सफाए के लिए सरकार को सख्ती बढ़ानी होगी। शुक्रवार को कुलगाम के हलान जंगल में आतंकियों ने सेना के टेंट पर गोलीबारी की थी। इसके बाद जब सुरक्षा बलों के जवानों ने जवाबी कार्रवाई की, तब मुठभेड़ ने गंभीर शक्ल अख्तियार कर ली।
इसमें इलाके की जटिलता की वजह से आतंकियों की ओर से की गई गोलीबारी में सुरक्षा बलों के तीन जवान घायल हो गए। बाद में उनका जीवन नहीं बचाया जा सका। खबरों के मुताबिक, हमलावर आतंकी पीर पंजाल क्षेत्र से घुसपैठ करके आए थे। मुठभेड़ के बाद भाग गए आतंकियों की तलाश के लिए अभियान में ड्रोन की भी मदद ली गई, लेकिन इससे यही जाहिर होता है कि कश्मीर में सरकार की ओर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए चलाए गए तमाम अभियानों और काफी हद तक मिली कामयाबियों के बावजूद आज भी वहां आतंकी संगठनों के पांव पूरी तरह उखाड़े नहीं जा सके हैं।
हाल के महीनों में आतंकवादी हमलों में सुरक्षा बलों के कई जवानों को जान गंवानी पड़ी है। हालांकि इस बीच कई स्तरों पर अपने अभियानों में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है और अचानक मुठभेड़ की स्थिति पैदा होने पर खासी संख्या में आतंकवादी भी मारे गए। एक रपट के मुताबिक, अकेले इस साल की शुरुआत से लेकर पांच जुलाई तक चले चौबीस से ज्यादा अभियानों में कम से कम सत्ताईस आतंकी मारे गए।
इसमें आठ स्थानीय और उन्नीस विदेशी आतंकी थे। पिछले साल भी सवा सौ आतंकियों को मार गिराया गया था। शायद इसी हताशा और निराशा में आतंकी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए हमले की कोशिश करते रहते हैं। मगर मारे गए आतंकियों की पहचान के आधार पर यह साफ होता है कि कश्मीर में आतंकवाद की समस्या अगर अब भी बनी हुई है, तो इसके पीछे विदेशी तत्त्वों का हाथ है। हालांकि यह छिपा नहीं है कि भारत में घुसपैठ से लेकर आतंकी हमले में जिन संगठनों का हाथ रहा है, वे पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां संचालित करते रहे हैं। मगर इस मसले पर अक्सर फजीहत होने और कठघरे में खड़ा होने के बावजूद पाकिस्तान अपनी आदत से बाज नहीं आता।
गौरतलब है कि हाल ही में पुलिस ने कुलगाम से चलने वाले आतंकी भर्ती अभियान का पर्दाफाश किया था। उस समय एक शोधकर्ता के साथ दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वे कश्मीरी युवाओं को पैसे का लालच देकर आतंकवादी बनाते थे। कुलगाम की इस घटना को दरअसल आतंकवाद के जाल की एक कड़ी भर माना जा सकता है। इस तरह की गतिविधियां आतंकी संगठन उस समूचे इलाके में चलाते रहते हैं।
मसले की ठीक समझ न रखने वाले कुछ भोले-भाले लोग उनके जाल में फंस भी जाते हैं। हालांकि स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों को वहां के नागरिकों में भरोसा बहाल करने में कामयाबी भी मिली है और ऐसे तमाम मामले सामने आए हैं, जिनमें स्थानीय लोगों ने आतंकियों का साथ देने से इनकार किया। लेकिन पाकिस्तान की सीमा से लगे इस राज्य में कई स्तरों पर एक साथ काम करने की जरूरत है। घुसपैठ पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए हर तरह की सख्ती बरती जाए, वहीं स्थानीय लोगों में भरोसा पैदा कर उनका सक्रिय सहयोग लिया जाए, ताकि आतंकियों को पनाह देने वालों के खिलाफ ठोस कदम उठाए जा सकें।
