एशिया कप में भारतीय क्रिकेट टीम की शानदार जीत से निस्संदेह खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा है और क्रिकेट प्रेमियों में अगले महीने से शुरू होने वाले विश्वकप को लेकर उम्मीदें बलवती हुई हैं। हालांकि एशिया कप के प्रदर्शन को विश्वकप मुकाबलों के पैमाने पर कस कर नहीं देखा जा सकता, मगर इसमें जिन टीमों को पराजित कर भारतीय टीम ने विजय हासिल की है, उनसे उसका वहां भी मुकाबला होना है। आमतौर पर भारतीय टीम का पाकिस्तान की टीम से कड़ा मुकाबला होता है।
अंतिम मुकाबले में श्रीलंकाई टीम केवल पचास रन बना पाई
एशिया कप में वह भी थी, मगर भारतीय टीम के सामने अंतिम मैच तक नहीं पहुंच पाई। श्रीलंका की टीम भी भारत को जोरदार टक्कर देती है, मगर इस बार उसे जिस तरह पराजय का सामना करना पड़ा, उसमें कई कीर्तिमान भारतीय टीम के नाम दर्ज हो गए। अंतिम मुकाबले में श्रीलंकाई टीम केवल पचास रन बना पाई और पंद्रह ओवर तथा दो गेंदों पर ही वह मैदान से बाहर हो गई।
एक ओवर में चार विकेट झटकने वाले सिराज दुनिया के चौथे गेंदबाज
भारतीय टीम के लिए यह बहुत आसान लक्ष्य था। मगर भारतीय गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने जैसी तूफानी गेंदबाजी की, वैसी गेंदबाजी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत कम मौकों पर देखी गई है। एक ओवर में चार विकेट झटकने वाले वे दुनिया के चौथे गेंदबाज बन गए। सात ओवरों में उन्होंने छह विकेट लिए।
खेल में जो टीम अपने प्रतिद्वंद्वी पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में कामयाब हो जाती है, उसकी जीत तय मानी जाती है। पहले बल्लेबाजी करने का फैसला कर श्रीलंका की टीम रनों का पहाड़ खड़ा करने के मंसूबे से मैदान में उतरी तो जरूर थी, मगर एक ओवर में ही चार खिलाड़ियों के बाहर हो जाने के बाद उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव इतना बढ़ गया कि वह अंत तक उबर नहीं पाई। इसका पूरा लाभ भारतीय गेंदबाजों ने उठाया और श्रीलंकाई टीम को पचास रनों पर समेट दिया। उसके बाद बल्लेबाजी करने उतरे दोनों भारतीय खिलाड़ी इस आसान लक्ष्य को हासिल कर नाबाद लौटे।
यह पहली बार था जब अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय प्रतिस्पर्धा में भारतीय टीम के सामने कोई टीम इतने कम रनों का लक्ष्य रख पाई थी। इसके पहले श्रीलंका की ही टीम भारतीय टीम के सामने 2014 में अट्ठावन रनों पर सिमट गई थी। इस प्रतिस्पर्धा में भारतीय टीम अंतरराष्ट्रीय एकदिवसीय खेलों में पहली ऐसी टीम बन गई है, जिसने दो अवसरों पर अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम को दस विकेट से हराया। इसके पहले 1998 में जिम्बाब्वे की टीम को शारजाह में दस विकेट से हराया था। इस प्रतिस्पर्धा में एक बड़ा कीर्तिमान शुभमन गिल ने भी अपने नाम दर्ज किया, जिन्होंने कुल 302 रन बना कर इतिहास रच दिया।
हालांकि एशिया कप में सदा से भारत का दबदबा रहा है। उसने आठवीं बार यह कप अपने नाम किया है। श्रीलंका की टीम भी इस मामले में बहुत पीछे नहीं है। छह बार वह भी यह कप जीत चुकी है। पाकिस्तान महज दो बार इस कप पर कब्जा जमा पाया है। ये तीनों टीमें विश्वकप मुकाबले में भी उतरेंगी। इस तरह एशिया कप मुकाबले के अनुभवों से इन टीमों को विश्वकप प्रतिस्पर्धा में अपना प्रदर्शन सुधारने का एक आधार मिलेगा। आजकल खेल तकनीक पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं।
इसलिए खिलाड़ियों को एशिया कप में अपने प्रदर्शनों का मूल्यांकन करते हुए अपने तकनीकी कौशल को बेहतर बनाने और प्रतिस्पर्धी टीम के खिलाड़ियों की कमजोरियों और खूबियों को समझने का भी अवसर मिलेगा। हालांकि किसी भी प्रतिस्पर्धा को अगली प्रतिस्पर्धा की कसौटी नहीं माना जाना चाहिए। पर एशिया कप में मिली विजय से भारतीय खिलाड़ियों का हौसला तो बढ़ा ही है।