फ्रांस के साथ हुए वित्तीय और कारोबारी समझौतों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया को निस्संदेह कुछ गति मिलने की उम्मीद बनी है। अभी तक फ्रांस का निवेश करीब एक अरब डॉलर का रहा है, जो इस समझौते के बाद बढ़ कर दस अरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। आतंकवाद से निपटने के अलावा फ्रांस ने परमाणु रिएक्टर लगाने, सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, रेलवे, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में मदद देने और प्रतिरक्षा के क्षेत्र में सहयोग का करार किया है। इस समझौते की पृष्ठभूमि काफी हद तक उसी समय बन गई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के दौरे पर गए थे। हालांकि राफेल विमानों की खरीद कीमत को लेकर मोलभाव में अटक जाने के चलते अंतिम रूप नहीं ले पाई है, पर इसमें कोई खास अड़चन नहीं है। भारत के सामने विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की बड़ी समस्या है। ऐसे में फ्रांस के छह परमाणु रिएक्टर लगाने और उन्हें आजीवन र्इंधन आपूर्ति के समझौते से ऊर्जा के क्षेत्र में काफी सहूलियत हो सकती है।

अभी तक फ्रांस के साथ जैतापुर में सिर्फ दो रिएक्टर लगाने का समझौता था। फिर पेरिस के जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सौर परिसंघ बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए दुनिया के तमाम देशों से वित्तीय सहयोग की अपील की थी। फ्रांस ने इसमें तीस करोड़ यूरो के निवेश का समझौता कर भारत का काफी मनोबल बढ़ाया है। सौर ऊर्जा के उपयोग पर इसलिए भी बल दिया जा रहा है कि इससे ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में काफी मदद मिलेगी। जब दुनिया के वे तमाम देश इस गठबंधन में शामिल हो जाएंगे, जहां साल के अधिकतर दिनों में धूप खिली रहती है और वहां सौर ऊर्जा पैदा करने की संभावना अधिक है, तो इसके नतीजे निस्संदेह उल्लेखनीय होंगे। भारत के विकास कार्यक्रमों में तेज रफ्तार रेलगाड़ियां चलाना और शहरों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करना भी प्राथमिकता सूची में हैं। फ्रांस ने इन दोनों मामलों में सहयोग का करार कर मोदी सरकार को बड़ा तोहफा दिया है। इस तरह जापान के बाद फ्रांस से भारत की बड़ी कारोबारी उम्मीदें पूरी हुई हैं।

फ्रांस के साथ भारत के रिश्ते हमेशा बेहतर रहे हैं। खासकर पोकरण परमाणु परीक्षणों के बाद वह भारत का सबसे अच्छा दोस्त साबित हुआ है। वर्तमान माहौल में अमेरिका का रुख भी भारत को सहयोग और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का है, फ्रांस की दोस्ती स्वाभाविक रूप से प्रगाढ़ होने के संकेत हैं। अमेरिका के बाद फ्रांस ने भी आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को चेतावनी दी है। इससे पाकिस्तान पर दबाव कुछ और बढ़ेगा और आतंकवाद से लड़ने में अब तक उसकी तरफ से चले आ रहे आनाकानी भरे रवैए में कुछ बदलाव की उम्मीद भी बनेगी। फ्रांस खुद आतंकवाद का दंश झेल रहा है और पिछले दिनों पेरिस में हुए हमले के बाद उसने घोषणा की थी कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगा। इस तरह अमेरिका के बाद जापान और फिर फ्रांस के साथ हुए करार से न सिर्फ भारत की आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी, बल्कि पाकिस्तान पर नकेल कसने में भी काफी मदद मिलेगी। अमेरिका के साथ बढ़ी नजदीकी के नतीजे नजर भी आने लगे हैं। ताजा समझौते से वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने भारत की स्थिति मजबूत होगी।