पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सच दुनिया के सामने उजागर करने के मकसद से सरकार ने संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख देशों की यात्रा पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। इसके लिए सात प्रतिनिधिमंडल बनाए गए हैं, जिनमें सभी दलों के नेता शामिल हैं। ये प्रतिनिधि प्रमुख देशों के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा दिखाने का प्रयास करेंगे। हालांकि पाकिस्तान की सच्चाई किसी से छिपी नहीं है, दुनिया के ज्यादातर देश उसे आतंकवाद का गढ़ मानते हैं। विश्व आतंकवाद की ताजा सूची में भी उसे शीर्ष पर रखा गया है। फिर भी भारत के साथ हुए सैन्य संघर्ष में कुछ देश उसके साथ खड़े नजर आए।
यह तब है, जब भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उसका सैन्य अभियान आतंकवाद को समाप्त करने के मकसद से चलाया गया। इसके प्रमाण भी दुनिया के सामने पेश कर दिए गए कि हवाई हमले में भारत ने केवल उन नौ ठिकानों को निशाना बनाया, जहां आतंकी शिविर चल रहे थे। दुनिया के तमाम देश आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध का समर्थन करते हैं, फिर भी पाकिस्तानी दहशतगर्दों के खिलाफ भारत के अभियान पर कुछ देशों ने अपने स्वार्थ ऊपर रखे।
पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग-थलग करने का यही हो सकता है कारगर तरीका
ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग-थलग करने का यही कारगर तरीका हो सकता है कि जमीन पर तो उसकी आतंकी गतिविधियों का मुंहतोड़ जवाब दिया ही जाए, सारे विश्व को बताया-दिखाया जाए कि वह किस तरह दहशतगर्दों को पालता-पोसता रहा है। भारत के पास इसके पुख्ता सबूत हैं। हवाई हमले में मारे गए एक दहशतगर्द के जनाजे में जब वहां की सेना के अधिकारी और राजनेता शरीक हुए, तो वे तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखीं। फिर भी ऐसे दस्तावेज जब भारतीय संसद के प्रतिनिधि खुद पेश करेंगे, तो उसका असर कई गुना बढ़ जाएगा।
पाकिस्तान के परमाणु हथियार से वैश्विक खतरा और भारत की बदली रणनीति, कूटनीतिक घेरेबंदी शुरू
सैन्य संघर्ष के दौरान भी भारत के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पाकिस्तान को कर्ज दिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन हमेशा अपनी वीटो शक्ति का उपयोग कर पाकिस्तान को बचाता रहता है। अमेरिका भी पाकिस्तान की हकीकत से वाकिफ है। विश्व व्यापार संगठन की इमारत पर हमला और फिर उस हमले के सरगना ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान में छिपे होने का तथ्य उसी का उजागर किया हुआ है। इसके बावजूद अमेरिका का रुख पाकिस्तान की तरफ नरमी का ही देखा जा रहा है। ऐसे में भारतीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के जरिए पाकिस्तान के रवैये का सच दुनिया को बताना कारगर साबित हो सकता है।
सभी राजनीतिक दलों ने दिखाया सकारात्मक रुख
यह भी अच्छी बात है कि इस मौके पर सभी राजनीतिक दलों ने सकारात्मक रुख दिखाया और सहयोग किया है। सरकार के इस फैसले पर सभी दलों ने उत्साह दिखाया है। हालांकि प्रतिनिधियों के चुनाव को लेकर कुछ राजनीतिक हलचलें दिखीं, पर अच्छी बात है कि इसे किसी दल ने तूल नहीं दिया है और सहयोग का ही रुख अपनाए रखा है। इससे दुनिया भर में सकारात्मक संदेश जाएगा। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का विश्व राजनीति में विशेष महत्त्व होता है।
कर्नल सोफिया कुरैशी के संदर्भ में मंत्री के बेलगाम बोल, बयान से देशवासियों को उठानी पड़ी शर्मिंदगी
जब ये प्रतिनिधिमंडल निर्धारित देशों में जाएंगे और पाकिस्तान प्रायोजित दहशतगर्दी के तथ्य पेश करेंगे, तो उसका दस्तावेजी और कूटनीतिक महत्त्व होगा। निस्संदेह इस पर वे देश पाकिस्तान के बारे में नए ढंग से सोचने का प्रयास कर सकते हैं। इसके बाद जब भी विश्व बिरादरी में पाकिस्तान को लेकर कोई प्रस्ताव पेश होगा, तो यह पहल प्रभावकारी साबित होगी।