इस स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह देश के सामने मौजूदा चुनौतियों से निपटने या उनका सामना करने को लेकर कुछ लक्षित बातें कीं, उनमें संदेश बिल्कुल साफ हैं। इस बार के अपने भाषण में उन्होंने भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करने के बजाय मुख्य रूप से उन मुद्दों पर जोर दिया, जो वर्तमान समय में देश को प्रभावित कर रहे हैं या चुनौतियों के रूप में खड़े हैं।
इनमें एक ओर आर्थिक मोर्चे पर अमेरिका की तरफ से घोषित शुल्क नीति के भारत पर पड़ने वाले प्रभाव और उससे पार पाने के लिए जरूरी विकल्प खड़े करने की अपनी राह चुनने की बात थी तो दूसरी ओर पाकिस्तान के संरक्षण में पलते आतंकवाद का सामना करते हुए ‘आपरेशन सिंदूर’ के जरिए दुश्मन देशों को ठोस जवाब देने के उदाहरण सहित परोक्ष रूप से एक चेतावनी भी कि अगर किसी देश ने भारत के खिलाफ नाहक दुस्साहस किया तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने ‘सुदर्शन चक्र’ नामक राष्ट्रीय सुरक्षा कवच तैयार करके आने वाले दस वर्षों में देश की सुरक्षा को विस्तार देने, सुदृढ़ीकरण और आधुनिकीकरण करने का भरोसा जताया।
दिवाली गिफ्ट से लेकर युवाओं को 15 हजार रुपये तक, पीएम मोदी के 10 ऐलान जो तय करेंगे देश का भविष्य
जाहिर है, पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद प्रतिक्रिया में भारत ने जिस तरह ‘आपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित ठिकानों से अपनी गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी संगठनों को सबक सिखाया, उस परिप्रेक्ष्य में आने वाले वक्त में भारत के सामने जैसी चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं, प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में उसके लिए मोर्चेबंदी को लेकर एक संकेत दिया। इसी तरह, अमेरिका ने शुल्क लगाने की नीति के जरिए दुनिया के सामने जैसी व्यापार युद्ध की स्थिति खड़ी की है और इसका भारत के ऊपर जो प्रभाव पड़ेगा, उसके मद्देनजर बिना किसी देश का नाम लिए उन्होंने व्यापार से लेकर रक्षा उत्पादन तक में आत्मनिर्भरता को मुख्य ताकत बनाने की बात कही।
उनकी इस बात में छिपे संदेश को समझा जा सकता है कि हम स्वदेशी को मजबूरी में नहीं, मजबूती के साथ उपयोग करेंगे और जरूरत पड़ी तो दूसरों को भी मजबूर करने के लिए उपयोग करेंगे… यह हमारी ताकत होनी चाहिए। यह सच भी है कि अमेरिका के साथ भारत का आर्थिक या व्यापारिक संबंध परस्पर सहयोग पर आधारित है और एकतरफा शुल्क लगाने जैसा कोई भी नीतिगत फैसला अमेरिका को भी बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
‘मोदी दीवार बनकर खड़ा हो जाएगा’, टैरिफ धमकी के बीच PM का लाल किले से आश्वासन
दूसरी ओर, उनके संबोधन में आंतरिक मोर्चे पर रोजगार से लेकर किसानों और युवाओं की समस्या तथा उन्हें संरक्षण देने का संकल्प भी दिखा। मसलन, उनकी घोषणाएं जमीन पर उतरीं, तो ‘प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना’ के तहत पहली नौकरी पाने वाले युवाओं को पंद्रह हजार रुपए देने और आर्थिक सुधारों के तहत कई तरह के करों में कमी करने की पहल हो सकती है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने जिस तरह किसानों, मछुआरों, पशुपालकों के हितों से कोई समझौता नहीं करने का एलान किया, सिंधु जल समझौते को एकतरफा और अन्यायपूर्ण बताया, उससे साफ है कि अब वे कृषि क्षेत्र में भी नई जमीन तैयार करने और उसे मजबूत करने की बात कर रहे हैं।
इसके साथ-साथ अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने से लेकर लड़ाकू विमानों के इंजन देश में ही बनाने जैसी घोषणाओं को भी आत्मनिर्भरता का संदेश माना जा रहा है। विदेश नीति हो या फिर आंतरिक मोर्चे को मजबूत करना, इस बात का आशय भी महत्त्वपूर्ण है कि अगर कोई दूसरों पर बहुत अधिक निर्भर हो जाता है, तो स्वतंत्रता का प्रश्न धुंधला पड़ने लगता है।