हरियाणा के पंचकूला में तीन लोगों की गोली मार कर हत्या की घटना से एक बार फिर यही जाहिर हुआ है कि राज्य में अपराधी बेलगाम हो चुके हैं। शायद उन्हें कानून का कोई खौफ नहीं रह गया है। सोमवार को तड़के जिस जगह पर दो युवकों और एक युवती पर गोलियां बरसाई गईं, वह एक अच्छे-खासे होटल की पार्किंग का क्षेत्र था और इस नाते उसे अपेक्षया ज्यादा सुरक्षित माना जाना चाहिए।
मगर हैरानी की बात है कि होटल परिसर की उस जगह पर पहुंच कर अपराधियों ने लक्षित तरीके से अंधाधुंध गोलीबारी की और तीन लोगों की जान लेने के बाद बिना किसी बाधा के फरार भी हो गए। हालांकि मृतकों में से एक के खिलाफ कुछ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन अगर यह आपसी रंजिश का भी मामला है तो अपराधियों के इस तरह बेखौफ आचरण का सिरा कहां है। सवाल है कि सुरक्षा व्यवस्था के चौकस होने के दावे के बरक्स ऐसी घटनाएं क्या बताती हैं।
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध
ऐसा नहीं कि पंचकूला में हुआ हत्याकांड कोई अकेली वारदात है। कुछ समय पहले गुरुग्राम के एक क्लब में फेंके गए देसी बम, कुरुक्षेत्र में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या और रोहतक में गोली कांड के अलावा बदमाशों के साथ पुलिस की दर्जन भर से ज्यादा मुठभेड़ की घटनाएं यही बताती हैं कि राज्य की कानून व्यवस्था सबसे खराब हालत में है। वसूली के लिए धमकी और हत्याएं, अपराधी गिरोहों का बोलबाला और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध राज्य में विकास के दावे को आईना दिखाते हैं।
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सच यह है कि राज्य में पिछले कुछ समय से लगातार जघन्य अपराध बढ़े हैं और आपराधिक मानसिकता वाले लोग एक तरह से बेखौफ मनमानी करते नजर आ रहे हैं। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कुछ समय पहले वहां हुए विधानसभा चुनाव में बढ़ते अपराध एक अहम मुद्दा बन गए थे। सवाल है कि क्या इसी तस्वीर के बूते राज्य में विकास और निवेश की संभावनाओं के मजबूत होने का दावा किया जा रहा है। अगर समय रहते इस आपराधिक वृत्ति पर लगाम नहीं लगाई गई, तो इसका बहुस्तरीय असर पड़ेगा और इसके नतीजे घातक साबित होंगे।
