अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसे के बाद से विमान सेवाओं की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। अगर उड़ान भरते ही किसी विमान का इंजन फेल हो जाए या फिर बीच रास्ते में तकनीकी खराबी आ जाए, तो इससे स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया सकता है। हवाई यात्रा में जोखिम इतना गहरा है कि हादसे की सूरत में बचने गुंजाइश नहीं होती। पिछले कुछ महीनों से लगातार घट रही घटनाओं से विमानन कंपनियों की साख तो खतरे में है ही, वहीं यात्रियों का भरोसा भी टूट रहा है और वे यात्रा के जोखिम को लेकर आशंकित हो रहे हैं। ऐसी घटनाओं की जवाबदेही स्पष्ट रूप से तय होनी चाहिए।
चिंता की बात है कि विमानों के इंजन फेल होने के मामले बढ़ रहे हैं
अहमदाबाद हादसे से देश उबरा भी नहीं है कि बुधवार की रात विमान यात्री उस समय सहम गए, जब दिल्ली से गोवा जा रहे विमान का एक इंजन रास्ते में खराब हो गया। यह एक आपात स्थिति थी। लिहाजा मार्ग बदल कर उसे मुंबई में सुरक्षित उतार लिया गया। पायलट के समय रहते संदेश के कारण एक बड़ा हादसा टल गया। यह चिंता की बात है कि विमानों के इंजन फेल होने के मामले बढ़ रहे हैं।
विमानन कंपनियां डीजीसीए की हिदायत के बाद भी सजग नहीं दिख रही हैं। विडंबना यह है कि सुरक्षा या अन्य स्तर की जांच के संबंध में सख्त निर्देश किसी बड़े हादसे के बाद ही आते हैं।
विमान के इंजन बंद होने या किसी भी तकनीकी खराबी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। हाल ही में इंडिगो का ही एक विमान पटना में हवाई पट्टी को छू कर दोबारा उड़ गया था और इस दौरान यात्रियों की सांसें अटकी रहीं। पांच मिनट बाद उसे सुरक्षित उतारा गया। अधिकतर हादसे विमान के उड़ान भरने या उतरते समय ही हुए हैं। सवाल है कि विमानों में तकनीकी खराबी के मामले क्यों बढ़ रहे है? किसी भी विमान की उड़ान से पहले सुरक्षा जांच और तकनीकी रूप से हर कसौटी पर सौ फीसद दुरुस्त होना सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है।
एक छोटी-सी खामी या भूल उड़ान और उसमें सवार सभी यात्रियों के जीवन को खतरे में डाल सकती है। यह बेहद चिंताजनक है कि अहमदाबाद हादसे के अलावा, छोटी-बड़ी गड़बड़ियों की लगातार खबरें आने के बावजूद सुरक्षित उड़ान को लेकर पर्याप्त सजगता बरतने की जरूरत शायद महसूस नहीं की जा रही है।