पंजाब में सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने को लेकर दायर मुकदमे पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को मौखिक रूप से आश्वस्त किया कि इस फैसले से पुलिस की शक्तियों का अतिक्रमण नहीं होगा। अदालत ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार को आपस में विचार-विमर्श करने को कहा है, ताकि अगली तारीख पर इस विवाद को निपटाया जा सके।

दो साल पहले पंजाब में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 50 किमी हो गया था

दरअसल, दो साल पहले केंद्र सरकार ने पंजाब में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा के पंद्रह किलोमीटर से बढ़ा कर पचास किलोमीटर कर दिया था। इस पर तत्कालीन राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी कि इस तरह उसकी कानून-व्यवस्था संबंधी शक्तियों को छीना जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के पास अवैध प्रवेश पर नजर रखने, फर्जी पासपोर्ट की पहचान, तलाशी और जब्ती जैसे अधिकार होते हैं, जबकि पुलिस सभी तरह के संज्ञेय अपराधों पर नजर रखती है। मगर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह समवर्ती प्रकृति का मामला है और इसमें पुलिस और बीएसएफ साथ मिल कर काम कर सकते हैं। हालांकि पंजाब सरकार के तर्कों से ऐसा नहीं लगता कि रुख में बदलाव आया है।

पंजाब और पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है

दरअसल, बीएसएफ अधिनियम 1968 की धारा 139 के अनुसार अंतरराष्ट्रीय सीमा से पचास किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ का अधिकार होगा। ऐसा सभी राज्यों में है। मगर पंजाब और पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं था। पंजाब में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र केवल पंद्रह किलोमीटर रखा गया था। गुजरात में यह क्षेत्र अस्सी किलोमीटर तक हुआ करता था, जिसे घटा कर पचास किलोमीटर कर दिया गया। पंजाब को इस पर एतराज इसलिए है कि उसकी बनावट गुजरात और राजस्थान जैसी नहीं है। राजस्थान में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्र में रेगिस्तान है, जबकि गुजरात में अधिकतर दलदली भूमि है। गुजरात के केवल दो शहर इससे प्रभावित होते हैं।

पंजाब का करीब अस्सी फीसद हिस्सा इससे प्रभावित होता है और उसके ज्यादातर जिला मुख्यालय भी उसके दायरे में आ जाते हैं। कई प्रमुख शहर और कस्बे इससे प्रभावित होंगे। जाहिर है, इससे राज्य सरकार के लिए कानून-व्यवस्था संबंधी फैसले करने में दिक्कतें पेश आएंगी। फिर, एक अड़चन यह भी है कि बीएसएफ और पुलिस का प्रशिक्षण बिल्कुल भिन्न कामों के लिए होता है। बीएसएफ का ध्यान सीमा सुरक्षा पर होता है, जबकि पुलिस को नागरिक सुरक्षा से जुड़ी हर तरह की आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखनी होती है। इसलिए शहरी क्षेत्रों में बीएसएफ की मौजूदगी से आने वाली मुश्किलों को समझा जा सकता है।

मगर सीमा सुरक्षा के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा सकती। पंजाब एक ऐसा राज्य है, जो पाकिस्तान की सीमा से बहुत करीब है। वहां तस्करी, मादक पदार्थों की बिक्री, अवैध रूप से हथियार पहुंचाने के लिए आतंकवादी अक्सर प्रयास करते पकड़े जाते हैं। पिछले कुछ सालों में जिस तरह वहां फिर से अलगाववादी शक्तियां सक्रिय हुई हैं और उनके तार अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी संगठनों से जुड़े पाए गए हैं, उससे सीमा सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की चिंता समझी जा सकती है।

पंजाब को भी ऐसी गतिविधियों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अपने अधिकार क्षेत्र को लेकर तनातनी उचित नहीं कही जा सकती। पूर्वोत्तर के बहुत सारे इलाकों में पुलिस और सीमा सुरक्षा बल साथ मिल कर काम करते हैं, उनके तौर-तरीके को आधार बना कर बीच का रास्ता निकालना मुश्किल नहीं माना जा सकता।