इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत के लिए बांग्लादेश एक अहम पड़ोसी है और आर्थिक साझेदारी सहित कई स्तर पर चल रही सहयोग आधारित परियोजनाएं दोनों देशों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हैं। यही वजह है कि समय-समय पर वैसी परियोजनाओं को लेकर दोनों पक्ष गंभीर रहे हैं, जिनसे परस्पर संबंधों में बेहतरी के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर नए आयाम खुल सकें।
बुधवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्त रूप से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जिन तीन विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया, वे न केवल कारोबार के लिहाज से एक महत्त्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि दोनों तरफ की आम जनता के लिए उपयोगी और दोस्ती के बंधन को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती हैं।
गौरतलब है कि भारत की सहायता से जिन तीन परियोजनाओं की शुरुआत हुई, उनमें त्रिपुरा के निश्चिंतपुर और बांग्लादेश के गंगासागर के बीच रेल संपर्क, खुलना-मंगला बंदरगाह रेल लाइन और मैत्री सुपर थर्मल बिजली संयंत्र की दूसरी इकाई शामिल हैं। ये तीनों परियोजनाएं सीमा पार व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच आवाजाही में लगने वाले समय को भी कम करेंगी।
इस मौके को भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग के जारी सफर की एक और कामयाबी के तौर पर देखा जा सकता है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से संबंधों में सुधार की दिशा में एक निरंतरता कायम है। यह बांग्लादेश में निवेश को लेकर चीन की विशेष दिलचस्पी के बावजूद संभव हुआ है। इससे पहले बीते नौ वर्षों के दौरान तीन नई बस और तीन नई रेल सेवाएं शुरू की गई।
तीन साल पहले से दोनों देशों के बीच कंटेनर और पार्सल ट्रेन चल रही है और समुद्री मार्ग को भी सवारी और माल की आवाजाही के लिए विकसित किया गया। इस संदर्भ में विश्व की सबसे बड़ी क्रूज सेवा ‘गंगा विलास’ के शुरू होने के बाद पर्यटन को बढ़ावा मिला है, वहीं चटगांव और मंगला बंदरगाह के रास्ते से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों को जोड़े जाने का लाभ दोनों देशों को हुआ है।
इसी साल मार्च में भारत-बांग्लादेश डीजल पाइपलाइन का उद्घाटन भी हुआ, जिसे ऊर्जा सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। दरअसल, भारत की ‘पड़ोसी पहले’ की नीति में बांग्लादेश को खास माना जाता है। यों भी दोनों देशों के बीच आर्थिक तकाजों के साथ-साथ सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक संबंध अच्छे रहे हैं। अपने निर्माण से लेकर वर्तमान तक बांग्लादेश भारत के साथ साझा इतिहास और विरासत के पहलू संबंधों की कड़ियों को जोड़ते हैं।
सही है कि कुछ मसलों पर उतार-चढ़ाव और अड़चनें रही हैं, जिन्हें वक्त रहते सुलझाना जरूरी है। मगर तीन ओर से भारतीय सीमा से घिरे होने की वजह से बांग्लादेश की भौगोलिक स्थिति में भारत की जगह अपने आप खास हो जाती है। जबकि यही दोनों देशों को एक दूसरे लिए महत्त्वपूर्ण बनाती है। दरअसल, हाल के वर्षों में एशिया के मौजूदा सामरिक हालात के समांतर पाकिस्तान और चीन का रुख जगजाहिर रहा है।
हालत यह है कि पाकिस्तान और चीन की ओर से बिना उकसावे के सीमा पर जैसी स्थितियां पैदा की जाती रही हैं, वह भारत के लिए एक चिंता का ही मोर्चा रहा है। वहीं बांग्लादेश की धरती से भारत में अपनी गतिविधियां चलाने वाले अलगाववादी गुटों को अब कुचल दिया गया है, जिसकी वजह से पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति लाने में काफी मदद मिली है। जाहिर है, आपसी संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन में बेहतरी लाने के लिहाज से दोनों देशों के बीच जो नए आयाम खुल रहे हैं, उसका दूरगामी महत्त्व है।