आव्रजन नीति को लेकर नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का रुख बदल गया दिखता है। निश्चित तौर पर भारत से वहां गए लोगों के लिए यह राहत की बात है। हालांकि इस मसले पर ट्रंप के समर्थकों का एक समूह उनका विरोध कर रहा है। दरअसल, ट्रंप ने एच1बी वीजा को बरकरार रखने पर सहमति दे दी है। अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया था। इस बार भी चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने अमेरिका प्रथम की नीति पर आगे बढ़ने और आव्रजन नीतियों को कड़ा बनाने का मुद्दा उठाया था। मगर भावी ट्रंप प्रशासन में शामिल किए गए उद्योगपति एलन मस्क और भारतीय मूल के तकनीकीविद विवेक रामास्वामी ने इस पर प्रतिबंध लगाने का विरोध कर दिया।

खबरों के मुताबिक, मस्क ने तो यह भी कह दिया कि वे एच1बी वीजा को बचाए रखने के लिए युद्ध तक करने को तैयार हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव अभियान में मस्क खुल कर ट्रंप के समर्थन में रहे। उनका कहना है कि एच1बी खत्म होने से कंपनियों के लिए बाहर से कुशल तकनीशियनों और विशेषज्ञों को लाना संभव नहीं हो पाएगा। रामास्वामी ने भी तर्क दिया कि इससे न केवल कंपनियों, बल्कि अमेरिका का भी बड़ा नुकसान होगा।

प्रतिबंध लगने से भारतीयों को हुआ था संकट

एच1बी पर प्रतिबंध लगने से सबसे अधिक भारतीय नागरिकों के सामने संकट पैदा हो सकता था। अमेरिका हर साल करीब पैंसठ हजार कुशल तकनीशियनों, चिकित्सकों आदि की भर्ती करता है, जिसमें से करीब पैंतालीस हजार भारतीय होते हैं। यानी हर दस में से सात विशेषज्ञ भारतीय होता है।

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हाल ही में आई एक रपट के मुताबिक अमेरिका में करीब सवा तीन लाख भारतीय विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। एच1बी वीजा उन्हीं लोगों को दिया जाता है, जिन्हें कंपनियां अपनी जरूरत के मुताबिक भर्ती करती हैं। इस वीजा की अवधि तीन साल की होती है और जरूरत पड़ने पर उसे और तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।

अमेरिका में रह रहे बहुत सारे विशेषज्ञ इसी वीजा के तहत गए हैं। ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में जब इस वीजा पर प्रतिबंध लगा दिया, तो लाखों विशेषज्ञों और पेशेवरों के सामने संकट पैदा हो गया था। इस दृष्टि से बेशक दबाव में ट्रंप ने अपना रुख बदल लिया है, अमेरिका में बेहतर भविष्य की तलाश करने वाले हजारों भारतीयों के लिए यह बहुत राहत की बात है।

चुनावी ऐजेंडे तक लगाया गया था बैन

दरअसल, राजनेता नीतियों में बहुत सारे बदलाव अपना जनाधार बढ़ाने के मद्देनजर कर लेते हैं। एच1बी वीजा को लेकर ट्रंप का रुख भी कुछ वैसा ही था। जब वे पहली बार राष्ट्रपति चुनाव लड़े थे, तब भी विदेशी नागरिकों, खासकर भारतीय मूल के लोगों पर निशाना साधते हुए अमेरिकी युवाओं को भरोसा दिलाया था कि वे बाहरी लोगों से छीन कर उनका हक वापस करेंगे। इसका नतीजा यह हुआ कि अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों पर नस्लवादी हमले बढ़ गए थे।

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इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि किसी भी देश को गैरकानूनी तरीके से घुसपैठ करने वालों को लेकर चिंतित होना चाहिए। मगर एच1बी वीजा गैरकानूनी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता। अगर इस पर प्रतिबंध लगता, तो उसका खमियाजा वहां की कंपनियों को भुगतना पड़ता। सच्चाई यही है कि अब भी अमेरिका में इतने कुशल तकनीशियन और दूसरे पेशवेर नहीं हैं कि वहां की कंपनियां उनके भरोसे अपना कारोबार चला सकें। इस लिहाज से ट्रंप प्रशासन के नए रुख से न केवल भारतीय युवाओं, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी राहत मिलेगी।