भारत का टी-20 विश्वकप जीतने का सपना वेस्ट इंडीज के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार के साथ चकनाचूर हो गया है। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए इस रोमांचक मुकाबले में वेस्ट इंडीज ने जीत के लिए 193 रनों का लक्ष्य 19.4 ओवर में महज तीन विकेट खोकर हासिल कर लिया जो निश्चय ही इस कैरेबियाई टीम के मुश्किल लक्ष्य को धैर्यपूर्वक हासिल करने के कौशल का सूचक है। इस मैच पर करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों की नजरें टिकी थीं क्योंकि इसे जबर्दस्त फार्म में चल रहे विराट कोहली और क्रिस गेल के बीच कांटे की टक्कर माना जा रहा था। महज दूसरे ओवर में क्रिस गेल के विकेट गंवा बैठने से उनकी टीम थोड़ी तनाव में दिखी। खराब शुरुआत का आलम यह था कि तीसरे ओवर में ही वेस्ट इंडीज के दो विकेट महज उन्नीस रन पर गिर गए थे। मगर उसके बाद चार्ल्स और सिमंस ने 97 रनों की साझेदारी की और तीसरा विकेट गिरने के बावजूद लेंडल सिमंस और आंद्रे रसेल ने धैर्य का दामन नहीं छोड़ा।
जब वेस्टइंडीज को आखिरी ओवर में केवल आठ रनों की आवश्यकता थी, भारत के नियमित गेंदबाज फ्लाप हो रहे थे तो धोनी ने कोहली को गेंदबाजी सौंपी, लेकिन उनकी चौथी गेंद पर ही रसेल ने छक्का जड़कर भारत की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इस हार के लिए रविचंद्रन अश्विन और हार्दिक पांड््या की दो ‘नो बॉल’ और मैदान में जमा ओस को मुख्य वजह बताया है। उनके मुताबिक जब भारत ने बल्लेबाजी शुरू की तो कुछ ओवर अच्छे थे, लेकिन उसके बाद काफी ओस पड़ी जिसका मतलब था कि स्पिनर वैसी गेंदबाजी नहीं कर सकते थे जैसी वे करना चाहते थे।
पराजय की पटकथा लिखने में इन वजहों की भूमिका हो सकती है लेकिन केवल इनकी आड़ में भारतीय टीम के अनेक खिलाड़ियों की नाकामी और मैच में हुई रणनीतिक भूलोंसे बरी नहीं हुआ जा सकता। अगर वेस्ट इंडीज के सिमंस को दो ‘नो बॉल’ पर जीवनदान मिला था तो हमारे कोहली भी तो दो बार रन आउट और एक बार कैच आउट होने से बच गए थे। जिस वानखेड़े की पिच पर धोनी बीस ओवर में 192 रन बना कर विजयी मुस्कान के साथ फूले नहीं समा रहे थे, उसी मैदान पर इस मैच से तेरह दिन पहले दक्षिण अफ्रीका की टीम 229 रन बनाने के बावजूद इंग्लैंड से हार गई थी। इस मैच में भारत की उम्मीदें अश्विन और रविंद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी पर टिकी थीं लेकिन दोनों ने बुरी तरह निराश किया।
सिमंस और जानसन चार्ल्स ने उन पर मनमाने प्रहार किए मगर इन दोनों को कोई विकेट नहीं मिला। उलटे, जडेजा चार ओवर में अड़तालीस रन और अश्विन दो ओवर में बीस रन दे बैठे। आज भारतीय टीम चंद खिलाड़ियों पर निर्भर होकर रह गई है। उसके तकरीबन आधे खिलाड़ी उन्हीं के भरोसे बेठे रहते हैं। यह रवैया घातक है जो ताजा पराजय से फिर साबित हुआ है। इस हार के लिए पिच या किस्मत को कोसने के बजाय हम भविष्य के मुकाबलों के लिए कुछ उपयोगी सबक सीख सकें तो यह महंगा सौदा साबित नहीं होगा। क्रिकेट को गौरवशाली अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता रहा है। जय-पराजय या मैच में बने कीर्तिमानों से इतर ये अनिश्चितताएं ही क्रिकेट में रोमांच भरती रही हैं। इस रोमांच को जीत के उन्माद या हार के अवसाद से परे जाकर अक्षुण्ण रखा जाना चाहिए।