दिल्ली और अन्य महानगरों में प्रदूषण की समस्या जिस स्तर पर गहराती गई है, उसमें इस पर काबू पाने के लिए किए जाने वाले उपायों से शायद ही किसी को असहमति होगी। विडंबना यह है कि कई बार किसी समस्या से पार पाने के लिए जिन उपायों का सहारा लिया जाता है, उसकी व्यावहारिकता कठघरे में होती है। दिल्ली में हर अगले साल प्रदूषण के गहराते संकट के सबसे बड़े कारणों में एक वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को माना गया और इस आधार पर पिछले कुछ वर्षों से सम-विषम जैसे नियम लागू कर वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करने की कोशिश की गई।

इसके अलावा, पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने को लेकर नियम-कायदे बनाए गए। हालांकि इसके अपेक्षित नतीजे को लेकर हमेशा संशय रहा। गौरतलब है कि दिल्ली में कुछ दिन पहले यह घोषणा की गई कि पंद्रह वर्ष पुराने पेट्रोल और दस वर्ष पुराने डीजल वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा। साथ ही पेट्रोल पंप पर पुरानी गाड़ियों को जब्त किया जा रहा था।

क्या अकेले इस उपाय से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या खत्म होगी

जाहिर है, एक साथ बड़ी तादाद में वाहनों के सड़कों से हटाने की नौबत आने पर आम लोगों के बीच व्यापक पैमाने पर आक्रोश का भाव पैदा हुआ और सरकार के इस फैसले पर सवाल उठे कि क्या अकेले इस उपाय से दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इससे बड़ी संख्या में लोगों की आजीविका भी प्रभावित हो सकती है। सरकार के पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं है।

यह बेवजह नहीं है कि गुरुवार को दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को पत्र लिख कर कहा कि तकनीकी चुनौतियों और जटिल प्रणाली के कारण तय मियाद पूरी कर चुके वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध लगाना व्यावहारिक नहीं है। यानी फिलहाल पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने की कवायद थमती दिख रही है। हालांकि इसे लेकर आम लोगों के बीच जैसी प्रतिक्रिया सामने आई, उसके बाद यह देखने की बात होगी कि इस मसले पर सरकार क्या रुख अपनाती है।

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माना जाता है कि तकनीकी रूप से पुराने, अधिक ईंधन खपत करने और खराब रखरखाव वाले वाहनों से प्रदूषण ज्यादा फैलता है और ऐसी स्थिति में ऐसे वाहन पर्यावरण और लोगों की सेहत के लिए जोखिम भरे हो सकते हैं। मगर ऐसे सवाल भी उठते रहे हैं कि प्रदूषण फैलाने के लिए किसी वाहन की उम्र को पैमाना माना जाना चाहिए या फिर प्रदूषित पदार्थ उत्सर्जित करने की जांच के आधार पर वाहन के दुरुस्त होने के बारे में तय किया जाएगा।

अगर कोई पुराना वाहन पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिहाज से पूरी तरह सुरक्षित है, तो उसकी उम्र को ही अकेला मानदंड क्यों बनाया जाना चाहिए? जहां तक दिल्ली का सवाल है, यह न केवल अन्य राज्यों के कुछ शहरों को मिला कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, बल्कि दिल्ली के अलावा अन्य शहरों में पुराने वाहनों को लेकर अलग नियम हैं।

साथ ही दिल्ली में आसपास के राज्यों से हर रोज ऐसे हजारों वाहन आते-जाते हैं, जो पुराने हो सकते हैं, हालांकि उन्हें दूसरे राज्यों में प्रदूषण जांच के पैमाने पर दुरुस्त माना जाता है। शायद इसीलिए ऐसे सवाल उठते रहे हैं कि जिन वाहनों को दूसरे राज्यों या इलाकों में प्रदूषण फैलाने की कसौटी पर सुरक्षित माना जाता है, उन्हें दिल्ली के लिए मुसीबत क्यों माना जाना चाहिए! या फिर अन्य राज्यों के वाहनों के लिए अलग नियम कैसे सही हैं! निश्चित रूप से प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। मगर इससे निपटने के तौर-तरीकों में अगर विरोधाभास होगा तो उसकी व्यावहारिकता कसौटी पर रहेगी।