दिल्ली में छत से धक्का देकर एक लड़की की हत्या को आम आपराधिक घटना माना जा सकता है, लेकिन इससे यह भी जाहिर होता है कि पिछले कुछ समय से अपराध का दायरा कैसे चिंताजनक रूप से फैल रहा है। खबर के मुताबिक, एक युवक ने लड़की को पांचवीं मंजिल से नीचे धक्का दे दिया और फरार हो गया। इलाज के दौरान लड़की की मौत हो गई। माना जा रहा है कि आरोपी पहले से परिचित था, लेकिन जिस तरह वेश बदल कर वह वहां गया था, उससे उसकी मंशा समझी जा सकती है। घटना की तहें जांच के बाद साफ होंगी, लेकिन इतना तय है कि अगर युवक के भीतर लड़की की हत्या करने का दुस्साहस आया तो इसका एक कारण उसका कानूनी कार्रवाई से बेखौफ होना भी हो सकता है।
आमतौर पर ऐसी घटनाओं के बाद पुलिस की नींद देर से खुलती है और शायद यही वजह है कि आपराधिक घटनाओं में कमी नहीं आ पा रही। खासतौर पर महिलाओं के सामने यह चुनौती खड़ी हो रही है कि आपराधिक वृत्ति के युवकों की मनमानी के बीच वे कैसे सुरक्षित महसूस करें। क्या यह दिल्ली की कानून-व्यवस्था पर एक सवाल नहीं है?
पिछले कुछ समय से दिल्ली और अन्य शहरों-महानगरों में एक विचित्र स्थिति पैदा हो रही है कि बहुत मामूली बातों पर भी दो लोग या पक्ष आपस में हिंसक टकराव पर उतर आते हैं, जिसमें कई बार किसी की जान चली जाती है। इसके अलावा, एक चिंताजनक पहलू यह है कि प्रेम के नाम पर किसी युवक की मनमानी का विरोध करने या इनकार करने पर लड़की की हत्या तक कर दी जाती है।
यह एक ओर कानून-व्यवस्था की विफलता है कि आपराधिक मानस वाले लोगों के भीतर उसका खौफ नहीं दिखता, तो दूसरी ओर यह समाज की भी नाकामी है कि वह लड़कों के भीतर महिलाओं के प्रति जरूरी संवेदनशीलता पैदा नहीं कर पाता। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अगर सरकार और समाज के स्तर पर इस तरह की आपराधिक वृत्ति की रोकथाम के लिए समय पर जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो इसका खमियाजा सभी स्तरों पर उठाना पड़ सकता है।