हाल ही में दिल्ली में लाल किला के पास हुए बड़े धमाके और उसमें कई लोगों की मौत के सदमे से लोग निकले भी नहीं थे कि जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार की रात अचानक हुए विस्फोट में नौ लोगों की जान चली गई। गौरतलब है कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े एक आतंकी तंत्र के खुलासे के बाद कुछ लोगों की गिरफ्तारी के साथ-साथ भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ भी बरामद किए गए थे। उन्हीं को जम्मू-कश्मीर के नौगाम स्थित एक थाने में ले जाया गया था, ताकि विस्फोटकों का गहन परीक्षण कराया जा सके।

इतना संवेदनशील विस्फोटक किसी तरह नौगाम थाने तक तो पहुंच गया, लेकिन उसके बाद शायद जरूरी सावधानी सुनिश्चित नहीं की जा सकी। यह त्रासद विडंबना रही कि थाना परिसर में ही विस्फोटकों की जांच के क्रम में एक बड़ा धमाका हो गया, जिसमें नौ लोगों की जान चली गई और बत्तीस लोग बुरी तरह घायल हो गए। धमाके के असर का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक ओर परिसर में थाने को बड़ी क्षति पहुंची, वहीं आसपास के घरों को भी भारी नुकसान हुआ।

नौगाम थाना परिसर में धोखे से हो गया था विस्फोट

नौगाम के थाना परिसर में हुए विस्फोट के असर को देखते हुए शुरूआत में इसके कोई आतंकी हमला होने की आशंका जताई गई, लेकिन बाद में जम्मू-कश्मीर पुलिस और फिर गृह मंत्रालय की ओर से भी स्पष्ट किया गया कि यह कोई आतंकी हमले जैसी घटना नहीं थी और महज एक हादसा था। खबरों के मुताबिक, जब्त विस्फोटकों को फोरेंसिक जांच के लिए उसमें से नमूना निकालने की कोशिश तथा अन्य प्रक्रिया चल रही थी कि धोखे से उसमें विस्फोट हो गया।

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अगर इस विस्फोट का आतंकी हमले से कोई ताल्लुक नहीं था, तो यह एक राहत की बात हो सकती है, लेकिन यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि इतनी बड़ी तादाद में जो विस्फोटक पदार्थ और रसायनों का जखीरा जमा किया गया था, उन्हें एक आतंकी तंत्र के खुलासे के दौरान ही जब्त किया गया था। थाना परिसर में गलती से हुए धमाके में जितने बड़े पैमाने पर क्षति हुई, लोग हताहत हुए, उसे देखते हुए इसका सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि अगर योजनाबद्ध तरीके से आतंकियों ने इन विस्फोटकों के सहारे दिल्ली या अन्य किसी जगह पर वारदात को अंजाम दिया होता, तो जानमाल के नुकसान का दायरा कितना बड़ा हो सकता था। मामूली असावधानी का नतीजा क्या हो सकता है, यह सामने है।

आतंकी संगठनों द्वारा योजना बद्ध हमले की थी तैयारी

संभव है कि यह घटना सिर्फ किसी चूक या फिर अचानक हुए हादसे का नतीजा हो। इसके बावजूद इस बात की गहन जांच कराए जाने की जरूरत है कि किन परिस्थितियों में विस्फोटक पदार्थ वहां ले जाए गए और उनका नमूना निकालने की प्रक्रिया में क्या किसी तरह की लापरवाही बरती गई। जो लोग इस समूची प्रक्रिया में शामिल थे, क्या उन्हें विस्फोटकों और खतरनाक रसायनों की जांच के लिहाज से विशेषज्ञता हासिल थी? आतंकी संगठनों और उनकी योजनाओं के तहत होने वाले हमलों का खमियाजा पहले ही एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं।

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जम्मू-कश्मीर में आतंक का माहौल बनाने के बाद अब उनके पांव देश के दूसरे हिस्सों में भी फैलते देखे जा रहे हैं। फरीदाबाद में हुई गिरफ्तारी और दिल्ली के लालकिले के पास हुए विस्फोट को उसी की कड़ी के तौर पर देखा जा सकता है। ऐसे में आतंकियों के किसी तंत्र के खुलासे और उनसे बरामद हर सामग्री को लेकर अत्यधिक सजगता और सावधानी बरतने की जरूरत है।