दरअसल, वाट्स ऐप्प ने लोगों को संदेश भेज कर उनसे अपनी नई शर्तें स्वीकार करने को कहा है। जो लोग इन शर्तों को नहीं मानते, वे स्वत: इस सेवा से अलग हो जाएंगे। यह बदलाव अगले महीने से होना है। इन शर्तों के लागू हो जाने के बाद कंपनी उपयोगकर्ता के मोबाइल फोन में मौजूद समस्त जानकारियों को साझा कर सकती, मसलन उसमें दर्ज फोन नंबर आदि।
मगर इसमें सबसे अधिक एतराज इस बात पर है कि कंपनी उपयोगकर्ता की स्थिति और वह जिन लोगों से बातचीत करता है, उन सबका विवरण भी साझा कर सकती है। यानी वह इस वक्त कहां है और कहां-कहां जाता है, किस-किस से और क्या-क्या बातें करता है, सब कुछ की जानकारी वह साझा कर सकता है।
लोगों ने जैसे ही इन नियमों के खिलाफ बोलना-लिखना शुरू किया और दूसरे विकल्पों की तरफ रुख करने लगे, कंपनी ने साफ किया है कि उसका इरादा लोगों की निजता में सेंधमारी का नहीं है। केवल व्यावसायिक गतिविधियों से संबंधित जानकारियां साझा की जाएंगी। उपयोगकर्ता के परिजनों आदि से की गई बातचीत को साझा नहीं किया जाएगा।
अब इस मामले में सरकार ने भी दखल दी है। वह कंपनी की शर्तों से संबंधित जानकारियों को खंगाल रही है। दरअसल, अभी तक वाट्स ऐप्प ने दुनिया भर में अपनी साख इसलिए बनाई है कि यह त्वरित संदेश प्रदाता ऐप्प है।
इसके जरिए वीडियो कॉल करने की भी सुविधा है। अभी तक इस पर की गई बातचीत की जानकारियों में कोई सेंध नहीं लगा सकता था, यानी जिस तरह फोन के जरिए की गई बातचीत और संदेशों आदि का ब्योरा उपलब्ध हो जाता है, उसी तरह इस पर चल रही गतिविधियों का ब्योरा नहीं लिया जा सकता। नए नियमों से वह सुरक्षा खत्म हो जाएगी।
मगर हाल के कुछ सालों में जिस तरह इस गोपनीयता का कुछ शरारती तत्त्वों ने बेजा इस्तेमाल किया है, अफवाहें फैलाने, गलत सूचनाएं प्रसारित करने और भीड़ को भड़काने, किसी का चरित्र हनन या उसका अपमान करने वाले संदेश परोसने आदि में वे कामयाब होते रहे हैं, उसे देखते हुए इस माध्यम को अनुशासित करने की मांग भी खूब उठती रही है।
इस लिहाज से देखें, तो वाट्स ऐप्प की नई शर्तें कुछ हद तक मनमानियों पर लगाम लगाने में कारगर साबित हो सकती हैं। मगर अक्सर देखा गया है कि संचार तकनीक में अंकुश लगाने के लिए अपनाए गए उपाय दूसरे तरीके से मनमानी के रास्ते खोल देते हैं, इसलिए इस पर उठे विवाद को गंभीरता से परखने की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता।
यों स्मार्ट फोन और इंटरनेट सेवाओं के आने से बहुत सारे कामों में काफी सुविधा हो गई है, मगर इसके जरिए लोगों की निजता में सेंधमारी की घटनाएं भी बढ़ी हैं। वाट्स ऐप्प इस मामले में अपवाद नहीं होगा। बहुत सारी कंपनियां किसी न किसी गैरकानूनी तरीके से आपका डाटा चुराती, बेचती रहती हैं।
यहां तक कि आधारकार्ड से जुड़ी जानकारियों में भी सेंधमारी की आशंका जाहिर की जाती रही है। इन्हें रोकने के कई उपाय आजमाए जा चुके हैं, पर डिजिटल माध्यमों में सेंध लगाने वालों पर नकेल कसना चुनौती बना हुआ है। वाट्स ऐप्प की नई शर्तें जासूसी और निजी डाटा की चोरी, खरीद-बिक्री का एक और रास्ता खोल सकती हैं। किसी भी कंपनी या माध्यम को किसी की निजता पर नजर रखने की इजाजत क्यों होनी चाहिए!