यौन उत्पीड़न मामले में आखिरकार प्रज्वल रेवन्ना को गिरफ्तार कर लिया गया है। जर्मनी से लौटते ही उन्हें बंगलुरु हवाई अड्डे पर विशेष जांच दल ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें छह दिन की हिरासत में भेज दिया गया है। पिछले महीने जब प्रज्वल के करीब तीन हजार महिलाओं के यौन उत्पीड़न की तस्वीरें सार्वजनिक होने लगी थीं, तब वे चुपके से जर्मनी भाग गए थे। तब राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष दल का गठन किया था। फिर उनके प्रत्यर्पण का दबाव बनना शुरू हो गया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्रज्वल का राजनयिक वीजा रद्द करने की गुहार लगाई थी। विशेष जांच दल ने उनके खिलाफ ब्लू कार्नर नोटिस जारी किया।
इस मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मी काफी बढ़ गई। तब प्रज्वल ने एक वीडियो जारी कर कहा कि वे इकतीस मई को पुलिस के सामने समर्पण करेंगे। इस मामले में प्रज्वल के पिता और जेडीएस से विधायक एचडी रेवन्ना भी आरोपी हैं। उन पर भी यौन उत्पीड़न के आरोप हैं। उन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। चूंकि प्रज्वल ने भाजपा के साथ मिल कर इस बार लोकसभा का चुनाव लड़ा है, इसलिए उनके ऊपर लगे आरोपों की आंच उस तक भी पहुंची है।
यह अब तक के यौन उत्पीड़न का सबसे बड़ा और वीभत्स प्रकरण है। आरोप है कि प्रज्वल रेवन्ना ने करीब तीन हजार महिलाओं का बलात्कार, यौन शोषण और उत्पीड़न किया और उनकी तस्वीरें भी उतारीं, जिनके जरिए उन्हें डरा-धमका कर अपना मुंह बंद रखने को मजबूर किया गया। उनमें घर की नौकरानी से लेकर दफ्तर में काम करने वाली, पार्टी कार्यकर्ता आदि महिलाएं शामिल हैं। उनमें उम्र का भी ध्यान नहीं रखा गया। कुछ ऐसी महिलाओं के उदाहरण भी हैं, जिनके बेटे के सामने उनका बलात्कार किया गया। चूंकि प्रज्वल खुद सांसद हैं और उनके पिता विधायक, फिर इन दोनों की एक दबंग छवि है, इसलिए महिलाओं ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत नहीं जुटाई। मगर जब प्रज्वल द्वारा उतारी तस्वीरों की फाइल किसी तरह बाहर आई और लोगों में फैलाई जाने लगी, तो कुछ महिलाएं हिम्मत जुटा कर सामने आर्इं और शिकायत दर्ज कराई। ऐसे में अब लोगों की नजरें विशेष जांच दल की कार्रवाइयों और अदालत के फैसले पर टिकी हुई हैं कि पीड़ित महिलाओं को कितना इंसाफ मिल पाता है।
यौन उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों में दोष सिद्धि और सजा की दर बहुत कम है। ऐसे मामलों में अगर रसूखदार लोग शामिल हों, तो पीड़िता को इंसाफ मिलने की उम्मीद धूमिल ही रहती है। ऐसे में प्रज्वल रेवन्ना और उनके पिता पर लगे आरोपों की कितनी निष्पक्ष और प्रभावी जांच हो पाएगी, यह देखने की बात है। जिन महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ या लंबे समय तक जो यौन उत्पीड़न सहती रहीं, उनमें से अब भी बहुत सारी समाज और परिवार के भय से मुंह खोलने से बचती देखी जा रही हैं। इसका यह अर्थ नहीं मान लिया जाना चाहिए कि उनके साथ अत्याचार हुआ ही नहीं। साक्ष्यों को तोड़ने-मरोड़ने और कानूनी बारीकियों की मनचाही व्याख्याएं करके आरोपी को बचाने की हर कोशिश की जाएगी, मगर मामले की निष्पक्ष और गंभीरता से जांच हो तो अदालत को सही नतीजे पर पहुंचने में मदद मिलेगी। इसलिए फिलहाल जांच दल पर निगाहें टिकी हुई हैं कि वह इस मामले को ऐसे निर्णय तक पहुंचाए, जो नजीर बन सके।