जब भी कोई संकट की घड़ी आती है, तो पूरा देश एकजुट हो जाता है। पहलगाम हमले के बाद एक ओर नागरिकों का आक्रोश सामने आया, तो दूसरी ओर वे पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के मुद्दे पर सरकार और सेना के साथ खड़े दिखे। वहीं सभी राजनीतिक दल भी अपने मतभेद भुला कर आगे आए। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और सैन्य कार्रवाई के लिए बढ़ते दबाव के बीच सहमति की सकारात्मक तस्वीर दिखी। इससे स्पष्ट है कि देश के सभी दल राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक हैं।

‘आपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में गुरुवार को सभी दलों ने न केवल सरकार का समर्थन किया, बल्कि सशस्त्र बलों के प्रति भी एकजुटता दिखाई। इससे पूरी दुनिया को संदेश गया है कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और इस मसले पर अब सख्ती से पेश आएगा। इस लिहाज से देखें तो सर्वदलीय बैठक से एक व्यापक राष्ट्रीय सहमति भी बनी है। इसमें सभी दलों ने सुरक्षा संबंधी अपनी चिंता जरूर जताई, लेकिन किसी भी बहस से दूर रहे। यह भारतीय राजनीति की परिपक्वता का परिचायक है।

आतंकवाद को समूल नष्ट करना चाहता है भारत

सर्वदलीय बैठक इस मायने में भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें सरकार ने ‘आपरेशन सिंदूर’ से संबंधित कई जानकारियां साझा कीं। रक्षा मंत्री ने सुरक्षा चिंताओं को तरजीह देते हुए आश्वस्त किया कि पाकिस्तान के किसी भी सैन्य हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सरकार बड़ा कदम उठाने से पहले जिस तरह पूरे देश को, खासकर विपक्ष को साथ लेकर चल रही है, उससे साबित होता है कि वह पड़ोसी देश द्वारा फैलाए गए आतंकवाद को समूल नष्ट करना चाहती है और कड़ी कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है।

आतंकवादियों को संरक्षण देना ही पाकिस्तान समझता है सबसे जरूरी काम, भारत ने दिया करारा जवाब

यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि भारत अब आर-पार के लिए तैयार है और आतंकवाद के खिलाफ उसकी शून्य सहिष्णुता की नीति है। वहीं दो कदम आगे बढ़ कर विपक्ष ने भी यह साफ कर दिया है कि राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है और इस पर कोई राजनीति नहीं होगी। सर्वदलीय बैठक में सभी दलों की देश के लिए एकजुटता एक तरह से पाकिस्तान के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है कि अगर वह किसी अन्य छिपी मंशा के मुताबिक लाभ उठाना चाहता है तो वहां भी उसे नाकामी हासिल होगी।