अपने घर या कार्यालय को मनमर्जी के मुताबिक वातानुकूलित करने की प्रवृति अब लोगों को बदलनी होगी। क्योंकि, आने वाले दिनों में एसी (एअर कंडीशनर) की हवा को ज्यादा ठंडा करने का विकल्प ही मौजूद नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि केंद्र सरकार एअर कंडीशनर के तापमान का मानकीकरण करने वाली है। नए नियमों के तहत इसके तापमान को न्यूनतम 20 डिग्री और अधिकतम 28 डिग्री सेल्सियस के दायरे में ही रखा जाएगा।
इससे न केवल बिजली की बचत होगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी, जो पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है। कई देशों में इस तरह के नियम पहले से लागू हैं। भारत में भी इसको लेकर काफी पहले से विचार किया जा रहा था, लेकिन कुछ तकनीकी पहलू और सरकारी स्तर पर इच्छाशक्ति का अभाव इसमें रोड़ा बना हुआ था, पर अब सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए नए नियमों के मसविदे को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
वातानुकूलन के लिए तापमान का मानकीकरण भी जरूरी
देश में वातानुकूलन के लिए तापमान का मानकीकरण इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि गर्मियों के दिनों में बिजली की मांग चरम पर पहुंच जाती है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान एअरकंडीशनर और हवा को ठंडा करने वाले अन्य उपकरणों का होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वातानुकूलन के समय तापमान तय सीमा में रखा जाए तो देशभर में सालाना हजारों करोड़ यूनिट बिजली की बचत हो सकती है। इससे कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों पर भी दबाव कम होगा और कार्बन उत्सर्जन में भी खासी कमी आएगी।
भारत के शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भी यह पहल महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है। वैसे भी अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाना जरूरी हो गया था। जापान, इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में एअर कंडीशनर के तापमान को लेकर पहले से ही सख्त नियम लागू हैं। जापान में तापमान की सीमा 26 डिग्री, जबकि इटली और स्पेन में 23 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच रखी गई है।
ऐसा बताया गया है कि नया नियम फिलहाल सभी नए एअर कंडीशनर पर लागू होगा। यानी आने वाले दिनों में बाजार में उपलब्ध एअर कंडीशनर में तापमान 20 डिग्री से नीचे और 28 डिग्री सेल्सियस से ऊपर नहीं रखा जा सकेगा। इसका एक फायदा यह भी होगा कि बिजली की खपत कम होने से बिल की राशि भी कम होगी। यानी समाज के मध्यम वर्ग के लिए सरकार का यह कदम राहत भरा होगा। घरों के अलावा सार्वजनिक भवनों, होटलों, माल, कार्यालयों, विपणन केंद्रों और कारों में लगे वातानुकूलन उपकरणों पर भी ये नियम लागू होंगे।
हालांकि, घरों में लगे पुराने एअरकंडीशनर को लेकर सरकार की ओर से अभी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। दूसरे पहलू से देखा जाए तो कमरे में बहुत कम तापमान रखना स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि 20 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर रहने से सांस संबंधी समस्याएं, सर्दी-खांसी, जोड़ों में दर्द और त्वचा संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी मानना है कि बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए 24-26 डिग्री का तापमान आदर्श होता है।