पिछले दिनों गुजरात में एक दुल्हन शादी के मंडप में मोटरसाइकिल पर चढ़ कर आई। एक कॉलेज में पढ़ाने वाली इस दुल्हन को मोटरसाइकिल चलाने का बहुत शौक है। उसने कहा कि वह अपनी शादी में कुछ अलग करना चाहती थी। इसलिए उसने ऐसा किया। उसके अपने परिवार वालों के साथ-साथ ससुराल वालों को भी उसकी इस इच्छा को पूरा करने से कोई आपत्ति नहीं थी। आजकल शादियों के बारे में युवा लोगों की कुछ ऐसी धारणा बन गई है कि उनकी शादी इस तरह और ऐसी हो कि लोग हमेशा याद रखें। यानी सामान्य और परंपरागत तरीके से होने वाली शादियों से कुछ अलग।
कुछ लोग तो गिनीज बुक में या लिम्का बुक में नाम लिखवाने के लिए भी अपनी शादी में ऐसा कुछ करने की कोशिश करते हैं, यानी जो पहले कभी न हुआ हो। इसीलिए कोई अपनी शादी आसमान में करना चाहता है तो कोई पानी के भीतर समुद्र में तो कोई पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर। दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई धनी किसानों के बेटे अपनी दुल्हन को लेने हेलिकॉप्टर में गए थे। यानी दिखावे का यह भाव सिर्फ शहरी मध्यवर्ग या उच्चवर्ग और अमीरों का ही शौक नहीं है।
जिसके पास पहले से है, वह तो एक खास तरह के सामाजिक रोबदाब के भाव में रहता ही है, जिसके पास बाद में भी पैसा आता है, वह सबसे पहले उसे दूसरे को दिखाने, खुद को दूसरों से श्रेष्ठ जताने और कूद कर चलने की जुगत भिड़ाता है। इसीलिए आजकल न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में, शादी दो लोगों का आपसी मामला न रह कर, दूसरों के दिखाने के लिए किया गया प्रदर्शन ज्यादा बनता जा रहा है। इसमें लिप्त और लीन लोगों के मन में यही भावना रहती है कि हम दुनिया से अलग और बहुत खास या विशेष हैं। लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि विशेष होने का यह भाव शायद हमारे मन में अन्यों के प्रति एक हिकारत भी पैदा करता है कि देखो, जो कोई और नहीं कर सकता, वह हम कर सकते हैं और दुनिया को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर सकते हैं।
कुछ साल पहले मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन ने उदयपुर के एक महल में शादी की थी। इस शादी में रवीना जिस पालकी में बैठ कर ससुराल गई थीं, कहा जाता है कि वह सौ साल पुरानी थी। इसी बात की खबर भी बनी थी। आज के दौर में तो युवा पीढ़ी ने अगर कहीं पालकी देखी हो, तो वह सिर्फ शादी के कार्ड पर छपी हुई या किसी पुरानी हिंदी फिल्म में। जो लोग पालकी ढोते थे, उनके कंधे उसे ढोते कितने थकते थे, धूप-ताप में चलते हुए पांवों में कितने छाले पड़ते थे, कितनी सांस उखड़ती थी और तब कहीं जाकर दो पैसे मिलते थे! लेकिन सभी को याद रहे, ऐसी कथित ‘अमरता’ की चाह में कोई कुछ भी कर रहा है।
वह भी आज के युग में, जहां आज शादी होती है और कल टूटने की नौबत आ जाती है। जब शादी ही टूट गई, तो कौन इस बात को याद रखेगा कि उस शादी को यादगार बनाने के लिए लड़के-लड़की और उनके घर वालों ने क्या-क्या पापड़ बेले थे, कितना पैसा खर्च हुआ था, वह किसकी जेब से गया था। लेकिन ‘अमरता’ की चाहत वाले लोग यह भूल जाते हैं कि इस संसार में कुछ अमर नहीं है। उस राजा की कहानी शायद हम सबने सुनी होगी कि वह अपना नाम सबसे ऊंची चोटी पर लिखवाने गया था, जिससे कि उसका नाम हमेशा अमर रह सके। मगर वहां पहुंच कर उसने देखा कि पहले से ही वहां इतने नाम लिखे हुए थे कि एक और नाम लिखने की जगह ही नहीं बची थी।
वैसे भी रफ्तार के इस युग में दृश्य बहुत जल्दी-जल्दी बदलते हैं और हर दृश्य एक अलग घटना ही होती है। ऐसे में किस-किस बात को याद रखा जा सकता है! किसकी शादी में शाहरुख ने डांस किया था और किसकी शादी में सनी लियोन आई थी, खाना कैसा था, कितने प्रकार का था, पंडाल से बाहर निकलते ही सब भूल जाते हैं। हां एक-दो कमी जरूर खोज ली जाती है, जिसे सबको बढ़-चढ़ कर बताया जाता है। विडंबना यह है कि दूसरे की कमी सुन कर कोई किसी को नहीं रोकता, बल्कि सब हां में हां ही मिलाते हैं। ऐसे आयोजनों में यह जरूर होता है कि आयोजकों की जेब बेहद हलकी हो जाती है। हालांकि सिर्फ महत्त्वाकांक्षा और दिखावे के लिए इतना धन बहाने वालों को पैसे की फिक्र नहीं होती, लेकिन शायद कभी उन्हें भी यह खयाल आता हो कि बेकार में ही इतना पैसा खर्च हो गया… जिस घटना को अमर बनाने चले थे, उसकी उम्र तो कुछ पल भी नहीं थी!