राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैया लाल मर्डर के मामले में जांच एनआईए को सौंपी गई है। बता दें कि इस बर्बर हत्याकांड में पाकिस्तानी कनेक्शन सामने के बाद कई सारी जानकारियां निकलकर सामने आई हैं। इस हत्या में पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस को गिरफ्तार कर लिया था। अब इस मामले की जांच एनआईए के पास है, ऐसे में जानते हैं कि आखिर एनआईए क्या है और किस क्षमता के साथ काम करती है।

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क्या है एनआईए: भारत की सबसे ताकतवर एजेंसी के रूप में जाने-जानी वाली एनआईए का पूरा नाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी/नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी है। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी मुंबई हमलों के बाद 31 दिसंबर, 2008 को अस्तित्व में आई थी। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी के गठन के पीछे का उद्देश्य देश की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता को बरकरार बनाए रखना था। साथ ही देश में किसी भी तरह का खलल पैदा/कोशिश करने वाली शक्तियों की जांच करना था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भारत की प्राथमिक आतंकवाद विरोधी टास्क फोर्स है। इसका मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में है।

एनआईए के पास कितनी ताकत: देश भर की अन्य एजेंसियों की अपेक्षा एनआईए को सरकार द्वारा विशेष अधिकार प्रदान किये है। देश में आतंकवाद, देश विरोधी गतिविधियां या युद्ध छेड़ने, परमाणु ठिकानों से जुड़े अपराधों में जांच का एनआईए के पास अधिकार होता है। एनआईए सीधे केंद्र सरकार के आदेश पर काम करती है, उसे किसी भी राज्य सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं होती है। इसके अलावा, एनआईए देश-विदेश कहीं भी जाकर भारतीयों के खिलाफ हुए अपराध/आतंकवाद से जुड़े अपराधों की जांच कर सकती है। माना जाता है कि एनआईए को अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के तरह के अधिकार प्राप्त हैं।

जांच का सक्सेस रेट भी हाई: देश की सबसे ताकतवर एजेंसी एनआईए जिन अपराधों में जांच करती है, उनमें सफलता की प्रतिशतता करीबन 93 फीसदी तक रही है। पुलिस, सीआईडी, सीबीआई की अपेक्षा एनआईए का किसी भी जांच में सक्सेस रेट बेहतरीन रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, यूपीए के कार्यकाल (2009-14) में करीब 195 मामलों में जांच एनआईए के पास थी, जिसका कन्विक्शन रेट 100 फीसदी रहा था। वहीं पहली एनडीए सरकार (2014-19) के समय एनआईए के पास 80 मामले आए, जिनमें कन्विक्शन रेट 80 फीसदी रहा।

क्या हैं अधिकार: नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी के अधिकारों की बात करें तो यह एजेंसी देश के बाहर जाकर भी मामले में जांच कर सकती है। यदि किसी आरोपी का एनआईए की कोर्ट में ट्रायल जारी है तो उसे किसी अन्य अदालत/मामले में पेश होने से रोका जा सकता है। इसके अलावा यदि किसी आरोपी को कमजोर सबूतों के आधार पर कोर्ट जमानत देना चाहती है तो एनआईए स्वतः संज्ञान लेकर बंद लिफाफे में सबूत या मामले से जुड़ी अन्य जानकारी साझा कर सकती है।

उदयपुर मर्डर की जांच में एनआईए: उदयपुर में हुए कन्हैया लाल मर्डर के मामले में आरोपी मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस के खिलाफ यूएपीए (गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज हुआ है। इसके अलावा आरोपी रियाज का पाकिस्तान की कट्टरपंथी संस्था ‘दावत ए इस्लामी’ से जुड़े होने का कनेक्शन सामने आया है। इसके अलावा, हत्या के आरोपी रियाज पर संदेह है कि वह आईएस के गुटों से भी जुड़ा रहा है। इन्हीं सारी जानकारियों के बाद मामले में जांच एनआईए को सौंपी गई है।