यूपी के सुल्तानपुर जिले में रविवार शाम तीन अज्ञात हमलावरों ने कांग्रेस नेता रीता यादव के पैर में गोली मार दी। 35 वर्षीय रीता यादव अस्पताल में हैं और खतरे से बाहर हैं। रीता यादव पिछले महीने ही समाजवादी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। वे हाल ही में सुल्तानपुर में 16 नवंबर की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को काले झंडे दिखाने के लिए चर्चा में थीं। उन्हें वहां से बाहर ले जाया गया और गिरफ्तार कर लिया गया था।

पुलिस ने बताया कि रीता यादव ने कहा था कि तीन हमलावरों ने उनके ड्राइवर को लखनऊ-वाराणसी राजमार्ग पर बंदूक के बल पर रुकने के लिए मजबूर किया और गोलियां चला दीं। सुल्तानपुर के लम्हुआ थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सुल्तानपुर, विपुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने यादव और उनके चालक मुस्तकीम के बयान दर्ज किए हैं, साथ ही घटनास्थल का दौरा किया है। 50 वर्षीय मुस्तकीम, स्थानीय निवासी हैं। वे साफ बच गए हैं। उनकी एसयूवी को रीता यादव ने किराए पर ली थी। एएसपी ने कहा कि डॉक्टरों का एक पैनल यादव की जांच कर रहा है।

पुलिस ने कहा कि उन्हें संदेह है कि हमले में एक विशेष तरह का हथियार इस्तेमाल किया गया था। अभी तक उन्हें घटना का कोई चश्मदीद नहीं मिला है। यादव ने पुलिस को बताया है कि रविवार दोपहर वे किसी काम से सुल्तानपुर गई थी। वापस जाते समय, जैसे ही वह लखनऊ-वाराणसी एक्सप्रेसवे पर एक ओवरब्रिज पर पहुंची, एक काली मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों ने कथित तौर पर उनके वाहन को जबरन रोका, उन पर गोली चलाई और भाग गए।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सुल्तानपुर, विपिन कुमार मिश्रा ने कहा, “जांच जारी है और जल्द ही तस्वीर साफ हो जाएगी।” कांग्रेस सुल्तानपुर जिलाध्यक्ष अभिषेक सिंह राणा ने कहा कि जिले के लालू का पुरवा गांव निवासी रीता यादव लखनऊ और अमेठी के जगदीशपुर में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलने के बाद कांग्रेस में शामिल हुई हैं।

अभिषेक राणा ने कहा कि वे पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर शाम तक तय करेंगे कि क्या करना है। यादव ने पूर्वांचल एक्सप्रेस का उद्घाटन करने के बाद पीएम को संबोधित एक रैली में उन्हें काले झंडे दिखाए थे। उसके खिलाफ सुल्तानपुर के गोसाईगंज थाने में मामला दर्ज कराया गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि रीता यादव के खिलाफ 2018 और 2020 के सुल्तानपुर में अन्य मामले भी दर्ज हैं। दोनों ही मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए हैं।

2018 में, यादव, उनके व्यवसायी पति संतोष यादव और दो अन्य को आईपीसी की धारा 387 (किसी व्यक्ति को जबरन वसूली के लिए मौत या गंभीर चोट पहुंचाने का डर दिखाना) के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। यादव के खिलाफ दूसरा मामला 2020 में दर्ज किया गया था, जब उन्होंने और कुछ अज्ञात लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन किए बिना विरोध प्रदर्शन किया था। एसएसपी मिश्रा ने कहा कि यादव ने सुरक्षा कवर के लिए कभी कोई अनुरोध नहीं किया।