कभी पश्चिमी यूपी से उत्तराखंड और हरियाणा में आतंक का पर्याय रहे मुकीम काला की मौत बीते साल मई 2021 में चित्रकूट जेल में हुई गैंगवार के चलते हो गई थी। लेकिन एक समय था कि मुकीम का नाम ही काफी था। दहशत की दुनिया में उसने अपना साम्राज्य हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, उतराखंड और पश्चिमी यूपी में खड़ा कर रखा था। ऐसे में आज आपको बताते हैं कि कैसे एक चिनाई करने वाला मजदूर इतना कुख्यात अपराधी बन गया था।

पश्चिमी यूपी के कैराना इलाके से आने वाले मुकीम काला की जिंदगी में गुटों की मारपीट और झगड़े शुरू से ही थे। 15 साल का हुआ तो एक बार पंचायत चुनावों में भी मारपीट के चलते पुलिस मुकीम को उठा ले गई थी। लेकिन जब बड़ा हुआ तो चिनाई का काम करने लगा। अपराध की दुनिया से परिचय शुरू से ही था, ऐसे में उसका नाम तब चर्चा में आया जब उसने पानीपत में एक मकान में डकैती डाली। इस डकैती के मामले में मुकीम काला को जेल भेज दिया गया।

मुकीम काला जब जेल से लौटा तो कुछ दिन शांत रहा, लेकिन फिर से उसने घरों में चोरी और राहजनी करने लगा। इसके बाद उसने सहारनपुर के बदमाश मुस्तफा उर्फ कग्गा की गैंग ज्वाइन कर ली। मुकीम की कग्गा से मुलाकात जेल में बंद रहने के दौरान ही हुई थी। ऐसे में जब कग्गा की गैंग में मुकीम काला ने एंट्री ली तो गैंग का अपराध का दायरा और स्तर दोनों बढ़ गए।

मुकीम काला ने कग्गा गैंग के साथ पानीपत, देहरादून और सहारनपुर में खूब आतंक मचाया, लेकिन इसी दौरान 2011 में मुस्तफा को पुलिस एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। इसके बाद मुकीम खुद गैंग का सरगना बन गया और करीब डेढ़ दर्जन बदमाशों के साथ हत्या, फिरौती, लूटपाट समेत कई संगीन जुर्मों को अंजाम देने लगा। पुलिस ने उसे कई बार पकड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन सब असफल रही पर 20 अक्टूबर 2015 में मुकीम को साबिर के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ दिन सहारनपुर जेल में रखने के बाद फिर उसे महाराजगंज जिला जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

मुकीम काला को पकड़ना आसान नहीं था, लेकिन गिरफ्तारी से पहले 15 फ़रवरी 2015 में उसने सहारनपुर में एक ज्वैलरी शोरूम में डकैती डाली थी। इसके बाद उसने ताबड़तोड़ घटनाओं को अंजाम दिया था, जिसमें दो सगे भाइयों और एक पुलिसकर्मी राहुल ढाका की हत्या शामिल थी। लगातार पुलिस की निगरानी और मुखबिरों के चलते एसटीएफ ने अक्टूबर में गिरफ्तार कर लिया था।

मुकीम काला जेल तो चला गया, लेकिन उसका नेटवर्क काम करता रहा और उसके नाम पर गैंग के गुर्गे वसूली करते रहे। साथ ही कैराना में पलायन की घटनाओं के पीछे भी उसी का हाथ बताया जाता रहा है। महाराजगंज जेल में आपसी गुटबाजी और हमले की आशंका के चलते ही उसे कुछ दिनों बाद चित्रकूट की जेल में भेज दिया गया था। मुकीम काला का नाम उस वक्त भी चर्चा में था जब उसकी मां ने बीते साल इलाहबाद हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर कहा था कि काला की जान को खतरा है।

मुकीम काला के अपराध की दास्तां उस पर दर्ज मामले भी बताते हैं। मुकीम काला पर पश्चिमी यूपी, हरियाणा और देहरादून के अलग-अलग थानों में करीब 61 मुकदमें दर्ज थे। साथ ही खास बात यह थी कि इन 61 मामलों में करीब 30 आपराधिक मुकदमें सहारनपुर जिले में दर्ज किए गए थे। इनमें लूट, हत्या, डकैती और रंगदारी जैसे संगीन जुर्म शामिल थे।