जेल में जहर पीने वाली सोनू पंजाबन की हालत अब स्थिर है। 12 साल की बच्ची के अपहरण और उसे जबरन जिस्मफरोशी के धंधे में धकेलने के लिए उसे दिल्ली की द्वारका कोर्ट ने दोषी माना है और जल्दी ही उसे सजा भी सुनाई जाएगी। 10वीं पास गीता अरोड़ा दिल्ली में जिस्मफरोशी के धंधे की ‘क्वीन’ कैसे बनी? यह अपने आप में बेहद ही दिलचस्प है। मूल रूप से हरियाणा के रोहतक की रहने वाली गोती अरोड़ा का जन्म 1981 में दिल्ली की गीता कॉलोनी में हुआ था। गीता के पिता ऑटोरिक्शा चलाते थे। बेहद ही साधारण परिवेश में पली बढ़ी गीता अरोड़ा साल 2003 से ही देह व्यापार से जुड़ी हुई बताई जाती है। सबसे पहले गीता अऱोड़ा का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया था जब एक बड़े बिजनेसमैन की लाश उसकी गाड़ी से बरामद हुई थी। हालांकि गीता उस वक्त पुलिस की जांच से बच गई थी।
इस हत्याकांड में नाम उछलने के बाद गीता ने रोहतक के ही एक नामी गैंगस्टर विजय सिंह से शादी की। कुख्यात गैंग्स्टर श्री प्राकाश शुक्ला गैंग के सदस्य विजय कुमार को साल 1998 में एसटीएफ की टीम ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इस वक्त तक गीता अरोड़ा अपराध की दुनिया में आ चुकी थी। पति की मौत के बाद गीता नजफगढ़ के एक मशहूर वाहन चोर दीपक के संपर्क में आई लेकिन 2003 में असम पुलिस ने दीपक को भी एनकाउंटर में ढेर कर दिया। दीपक की मौत के बाद उसने दीपक के ही भाई हेमंत सोनू से शादी रचा ली। कहा जाता है कि पति के नाम से सोनू निकालकर उसने अपने नाम के आगे लगा लिया और वो बन गई सोनू पंजाबन। साल 2006 में पुलिस ने हेमंत सोनू को भी मौत के घाट उतार दिया।
कहा जाता है कि हेमंत के एक साथी की मदद से सोनू पंजाबन ने दिल्ली में जिस्मफरोशी के धंधे का बड़ा नेटवर्क तैयार किया। यह भी कहा जाता है कि एक वक्त सोनू खुद कॉलगर्ल थी। लेकिन वक्त बीतने के साथ साथ सोनू का साम्राज्य बढ़ता चला गया। दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों में भी सोनू का जाल फैला हुआ है। वो दलालों की मालकिन है। अलग-अलग इलाकों में फैले हुए दलाल उसके संरक्षण में काम करते हैं। सोनू इन दलालों का इलाका भी तय करती है और मोटे पैसे भी वसूलती है।
कद करीब 5 फुट 4 इंच और जुबान पर फर्राटेदार अंग्रेजी सोनू पंजाबन की विशेष पहचान है। सोनू पंजाबन को 2007 में प्रीत विहार पुलिस ने और 2008 में साकेत पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गई और फिर से कंपनी चलाने लगी हालांकि जेल में रहने के दौरान भी उसके धंधे पर असर नहीं पड़ता था। अप्रैल 2011 में सोनू पंजाबन को 4 लड़कियों और 4 लड़कों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। इस बार उस पर मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट 1999) लगाया गया। पुलिस के अनुसार पैसा कमाने के लिए वह संगठित तरीके से सेक्स रैकेट चला रही थी लेकिन पुलिस आरोप साबित नहीं कर पाई और सोनू पंजाबन मकोका से बरी हो गई।
