Crime News: जुर्म की कहानियों में एक बात अक्सर साफ होती है कि जुर्म करने वाले चाहे कितना भी शातिर क्यों ना हो, कोई ना कोई गलती जरूर कर बैठता है। उसकी यही गलती सबूत बनकर उसे एक ना एक दिन सलाखों के पीछे भेज ही देती है। सितंबर 2013 की बात है। कर्नाटक के बेंगलुरू से 183 किलोमीटर दूर हसन का शांत शहर 32 साल की महिला की उसके घर के अंदर हत्या से काफी हैरान था। इसके बाद मीडिया ने इस मुद्दे को इस कदर उठाया कि पुलिस को इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने का भारी दबाव बन गया। शायद पुलिस इस मामले की गुत्थी को कभी भी नहीं सुलझा पाती लेकिन आरोपियों द्वारा कत्ल करने के बाद ढाबे पर की गई पार्टी उन लोगों के घातक साबित हुई।
32 साल की तेजस्विनी रंगा अपने पति रंगा एआर और दो बच्चों धरणीश और मनोज के साथ हसन शहर में रहती थीं। रंगा कर्नाटक स्टेट फाइनेंसियल कॉरपोरेशन में क्लर्क थे। 30 सितंबर, 2013 को रंगा हमेशा की तरह सुबह 9.30 बजे काम पर निकल गए और बच्चों को स्कूल छोड़ दिया। इसके बाद वे किसी निजी काम से हसन से 24 किलोमीटर दूर गोरूर चले गए। दोपहर करीब 1 बजे रंगा को उसके साथी गणेश का फोन आया और उसने उसे वापस आने को कहा। मनोज स्कूल से घर लौटा था और उसने देखा कि उसकी मां मृत पड़ी है।
जब रंगा वापस लौटा तो उसे पता चला कि तेजस्विनी की हत्या हो चुकी है। घर की अलमारियों में भी तोड़फोड़ की गई थी। हसन एक्सटेंशन पुलिस स्टेशन में हत्या का मामला दर्ज किया गया। घर पर अकेली महिला की हत्या के बाद मीडिया में तुरंत आक्रोश फैल गया और स्थानीय लोगों ने सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े किए। संजीव गौड़ा एचबी उस समय हसन टाउन पुलिस स्टेशन में पुलिस इंस्पेक्टर थे।
घर में मिले कॉफी के कुछ खाली कप
तेजस्विनी की हत्या की पुलिस जांच शुरू होने के साथ ही जिले के अन्य पुलिस स्टेशनों के पुलिस वालों को भी इसमें शामिल कर लिया गया। चन्नरायपटना पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर सुरेश पी को टेकनिक्ल सबूत इकट्ठा करने और तेजस्विनी और संदिग्धों के फोन के कॉल डिटेल रिकॉर्ड की जांच करने के लिए लगाया गया। गौड़ा ने बताया कि जैसे ही हमने घर में एंट्री की तो हमें कुछ खाली कॉफी कप मिले। यह पता लगाने के लिए हमारे लिए काफी था कि तेजस्विनी को जानने वाला कोई शख्स घर में घुसा था। हमने आस-पास की जगहों के सीसीटीवी फुटेज चेक करने की कोशिश की। कोने में एक बिल्डिंग थी।
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हमने हत्या से 30 मिनट पहले और 30 मिनट बाद की जांच शुरू की। इसमें दोपहर का करीब 12.30 बजे का टाइम भी शामिल था। हमने देखा कि एक टाटा इंडिका कार थी जो हत्या से पहले और बाद में दो बार इस सड़क से गुजरी थी। कैमरे के कम रिजॉल्यूशन की वजह से रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं देख पाए लेकिन हम KA-02 देख पाए जिसका मतलब है कि वाहन बेंगलुरु में ही रजिस्टर्ड था। हमने कई रास्तों पर जांच करने की कोशिश की लेकिन इससे कुछ भी रिजल्ट हमारे सामने नहीं आया।
गौड़ा ने कहा कि पुलिस ने फिर जांच की कि क्या ऐसी कोई गाड़ी बेंगलुरु-मंगलुरु हाईवे पर टोल से होकर गुजरा है। लेकिन ऐसा कोई भी गाड़ी नहीं थी। इस एंगल से जांच लगभग बंद हो गई थी। पुलिस को यह भी पता चला कि तेजस्विनी का मोबाइल फोन गायब था। हमने सीडीआर की जांच की लेकिन इससे कोई नतीजा नहीं निकला।
सच कहूं तो रंगा हमारे संदिग्धों में से एक था क्योंकि क्राइम के टाइम वह बाहर था। हमने यह भी जांच की कि क्या तेजस्विनी का शादी से पहले कोई बॉयफ्रेंड था। हमें पता चला कि एक शख्स था लेकिन उससे पूछताछ की गई और हमने देखा कि उनका कभी भी एक दूसरे से संपर्क नहीं हुआ। कोई दूसरा सबूत नहीं मिलने पर पुलिस ने हत्या के टाइम इलाके में सक्रिय सभी फोन को ट्रैक करना जारी रखा। हालांकि, उन्हें कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। हसन जिले के तत्कालीन एसपी रवि डी चन्नानवर ने मामले की जांच के लिए स्पेशल टीमों का गठन किया।
मोबाइल फोन ट्रैक कर पहुंचे पुलिस अधिकारी
तेजस्विनी की हत्या के 10 दिन बाद टेक्निकल सबूत तलाश रहे सुरेश पी को एक जरूरी सुराग मिला। सुरेश तजस्विनी के मोबाइल के IMEI नंबर पर नजर रखे हुए थे। सुरेश ने कहा कि हमे पता चला कि फोन चालू था, लेकिन इसमें कोई दूसरा नंबर डला हुआ था और यह हाईवे पर एक ढाबे पर ऑपरेट हो रहा था। मैंने यह जानकारी संजीव और उनकी टीम को दी।
इसके बाद गौड़ा और उनकी टीम ट्रैक कर तुरंत उस ढाबे पर पहुंची और मोबाइल चला रहे व्यक्ति को पकड़ लिया। उस शख्स ने बताया कि ढाबे पर कुछ लोगों ने खाना खाया था और बिल नहीं भरा था। इसी के बदले में यह फोन दे दिया था। हालांकि, ढाबा मालिक को वहां खाना खाने वाले लोगों का नाम याद नहीं थे। हालांकि पुलिस कुछ स्थानीय लोगों तक पहुंचने में कामयाब रही जो उस समय ढाबे पर खाना खाने वाले उन हत्यारों के साथ थे।
चांदी का सिक्का भी मिला
पुलिस को पता चला कि हत्या के दिन आरोपी इस ढाबे पर आए थे। एक स्थानीय शख्स ने ढाबा मालिक से बातचीत की। ढाबा मालिक से सबूत मिलने के आधार पर पुलिस हत्यारों के स्थानीय दोस्तों के पास पहुंची। पुलिस को पता चला कि संदिग्धों में से एक मंजेगौड़ा था। इसे चन्नारायपटना में एक हत्या के मामले में पहले भी गिरफ्तार किया गया था। गौड़ा ने बताया कि उसके घर की जांच करने के बाद में हमें तेजस्विनी के घर से लूटा गया एक चांदी का सिक्का मिला। उसकी भूमिका अब बिल्कुल साफ हो गई थी और अब हम बाकी आरोपियों के नाम भी जानना चाहते थे।
मंजेगौड़ा ने पूछताछ के बाद दूसरे सभी आरोपियों के नाम भी उगल दिए और पुलिस ने हसन जिले के रहने वाले मंजेगौड़ा, बेंगलुरु के बनशंकरी के रहने वाले मनु कुमार सीएन, बेंगलुरु के होसाकेरेहल्ली रहने वाले मंजूनाथ और चन्नरायपटना के रहने वाले सुनील को 16 अक्टूबर 2013 को गिरफ्तार किया गया था।
सभी आरोपियों ने कैसे हाथ मिलाया
आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन पुलिस अभी भी इस बात से हैरान थी कि चन्नारायपटना के संदिग्धों ने हत्या करने के लिए बेंगलुरु के आरोपियों के साथ कैसे हाथ मिलाया और उन्होंने तेजस्विनी को क्यों निशाना बनाया। पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला कि सुनील कार ड्राइवर का काम करता था और उसे बेंगलुरु में कार चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जेल में उसकी मुलाकात मनु से हुई। उसको भी इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार दोनों बड़ा नाम बनाना चाहते थे और उन्होंने अपनी टीम में कुछ और लोगों को शामिल करने का फैसला किया। अधिकारी ने कहा कि फिर वे मंजेगौड़ा के संपर्क में आए। उसने एक शख्स की हत्या की थी और जेल में समय बिताया था।
जब मनु जमानत पर बाहर आया, तो उसकी मुलाकात बेंगलुरु के रहने वाले अपने दोस्त कुमार से हुई। कुमार के परिवार ने कार से धर्मस्थल जाने की प्लानिंग बनाई और उन्होंने मनु को अपना ड्राइवर बना लिया। बेंगलुरु लौटते वक्त कुमार का परिवार तेजस्विनी के घर पर रुका। जांच टीम में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उस दिन मनु ने तेजस्विनी से बात की और उसे सोने के गहने पहने हुए देखा।
जब आरोपियों ने क्राइम करने के बारे में फैसला किया तो उनके दिमाग में तेजस्विनी को लूटने का कोई भी विचार नहीं था। पुलिस के मुताबिक, मनु और दूसरे आरोपियों ने शुरू में बेंगलुरु में एक घर में चोरी करने की प्लानिंग की थी, लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हो पाए थे। पुलिस ने कहा कि निराश होकर मनु ने तेजस्विनी के घर से गहने लूटने की प्लानिंग की। बेंगलुरु के आरोपी ने 30 सितंबर, 2013 को शहर छोड़ दिया। पुलिस ने बताया कि मंजेगौड़ा और सुनील पुलिस की नजर से बचने के लिए सतर्क थे, इसलिए उन्होंने सर्विस रोड का इस्तेमाल किया और टोल प्लाजा से दूर रहे। तेजस्विनी मनु को जानती थी। इसी वजह से उसने मंजेगौड़ा और मंजूनाथ के साथ घर में घुसकर कहा कि वे दक्षिण कन्नड़ की तरफ जा रहे हैं। पुलिस ने बताया कि सुनील बाहर पहरेदारी कर रहा था।
कॉफी पिलाने के बाद में आरोपियों ने तेजस्विनी का गला रेंता
तेजस्विनी ने जब सभी को कॉफी पिलाई तो तीनों आरोपियों ने कथित तौर पर उसका गला घोंट दिया और उसका गला रेत दिया। पुलिस ने बताया कि बाद में वे उसका 40 ग्राम का मंगलसूत्र, सोने का हार और 10 लाख रुपये के दूसरे कीमती सामान को लूटकर ले गए। हत्या के 11 साल बाद भी सुरेश को याद है कि यह कैसे एक निर्मम हत्या थी। मनु ने अन्य आरोपियों को 2012 की कन्नड़ फिल्म दंडुपाल्या दिखाई। यह फिल्म एक गिरोह की सच्ची कहानी पर आधारित है जो घर में अकेली महिलाओं की हत्या करता था और बेंगलुरु और उसके आसपास के इलाकों में उनके कीमती सामान लूटता था। तेजस्विनी की हत्या इसी की नकल थी।
पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 201, 396 और 397 के तहत चार्जशीट दाखिल की। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया कि महिला की मौत गला कटने और ज्यादा खून बहने की वजह से हुई है। 4 अक्टूबर 2017 को हसन जिला जज ने एचसी शमप्रसाद ने सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
