Sanjay Raut’s journey From Top crime reporter to accused in land scam case: शिवसेना सांसद संजय राउत को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सोमवार को विशेष पीएमएलए अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में चार अगस्त तक के लिए भेज दिया। अधिकतर लोग संजय राउत को शिवसेना के प्रवक्ता, सांसद और मुखपत्र सामना की उनकी संपादकीय के लिए जानते हैं, लेकिन एक समय संजय राउत का नाम मुंबई के टॉप क्राइम रिपोर्टर में गिना जाता था।
मुंबई के टॉप क्राइम रिपोर्टर से शुरू हुआ सफर
मुंबई के भांडुप गांव के रहने वाले संजय राउत ने अपने करियर की शुरुआत क्राइम रिपोर्टर के तौर पर की थी। उन दिनों मुंबई में अंडरवर्ल्ड और डॉन दाऊद इब्राहिम का दौर था। बताया जाता है कि संजय राउत कभी ग्राउंड पर नहीं उतरे और न ही किसी पुलिस थाने में गए लेकिन अपने सूत्रों के दम पर उन्होंने कई बड़ी खबरें की। कुछ साल पहले पुणे के एक कार्यक्रम में राउत ने दावा किया था कि वह एक क्राइम रिपोर्टर के तौर पर दाऊद इब्राहिम से कई बार ख़बरों के लिए मिले थे। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्होंने एक बार दाऊद इब्राहिम को फटकार भी लगाई थी। हालांकि, यह बात तब की है जब दाऊद का नाम मुंबई बन धमाकों में नहीं आया था।
बाल ठाकरे की नजर और बने सामना में कार्यकारी संपादक
मुंबई के अपराध जगत को बारीकी से कवर करने वाले संजय राउत के काम ने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का ध्यान अपनी ओर खींचा। राउत ने शुरुआत में 80 के दशक में ठाकरे द्वारा स्थापित कार्टून पत्रिका मार्मिक के लिए काम करना शुरू किया था। इसके बाद, पार्टी का मुखपत्र सामना शुरू करने के कुछ सालों के भीतर ठाकरे ने राउत को कार्यकारी संपादक बना दिया। राउत का दबदबा ऐसा था कि वह शिवसेना के सत्ता में होते हुए भी संपादकीय में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी की आलोचना करने से नहीं कतराते थे।
बाल ठाकरे ने ही भेजा संसद
उन दिनों शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे सबसे ज्यादा पत्रकारों को संसद भेजने के लिए जाने जाते हैं। इस लिस्ट में विद्याधर गोखले, संजय निरुपम से लेकर प्रीतीश नंदी और भरतकुमार राउत तक के नाम शामिल थे। इन सभी ने राज्य सभा या लोकसभा में जगह बनाई थी। साल 2004 में वह मौके भी आया जब संजय राउत को शिवसेना की तरफ से राज्यसभा भेजा गया था। शिवसेना में अंदरूनी मतभेद ने उन्हें साल 2010 आते-आते बड़ा नेता बना दिया, यह वह समय था जब उद्धव ठाकरे एक बड़े संकट का सामना कर रहे थे।
संजय राउत ही थे महा विकास अघाड़ी के आर्किटेक्ट
साल 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, संजय राउत ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ एक असंभव गठबंधन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वही जब चुनाव का रिजल्ट आया तो राउत ही वह पहले शख्स थे जिन्होंने यह कह दिया था कि “मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही होगा”। इसके बाद ही माना जाने लगा कि महराष्ट्र में संजय राउत ही महा विकास अघाड़ी फ्रंट के असली आर्किटेक्ट थे।
पात्रा चॉल घोटाले में बने आरोपी
ईडी ने राउत को मुंबई में पात्रा चॉल मामले में कथित वित्तीय अनियमितताओं, उनकी पत्नी और कथित सहयोगियों से संबंधित वित्तीय संपत्ति लेनदेन के सिलसिले में 31 जुलाई की आधी रात को गिरफ्तार कर लिया था। इसमें करीब 1034 करोड़ का घोटाला होने का आरोप है। इस केस में संजय राउत की नौ करोड़ रुपये और राउत की पत्नी वर्षा की दो करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त हो चुकी है।