राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर कोहराम मचा हुआ है। यहां कांग्रेस के कई विधायकों ने आरोप लगाया है कि उन्हें खरीदने की कोशिश की गई है। इसके बाद इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की गई है।  हालांकि देश की राजनीति में यह पहला मौका नहीं है जब हॉर्स ट्रेडिंग की बातें निकल कर सामने आ रही हैं। इससे पहले अमर सिंह जैसे बड़े नेता को इसी हॉर्स ट्रेडिंग में नाम आने की वजह से जेल तक जाना पड़ा था। दरअसल साल 2008 में विश्वास मत के दौरान अमर सिंह पर सांसदों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा था। इस मामले में 11 सितंबर 2011 को अमर सिंह को जेल भेजा गया था। यह कांड ‘कैश पर वोट’ के नाम से भी चर्चित है।

कैश फॉर वोट मामला जुलाई, 2008 का है जब अमेरिका से परमाणु समझौते के विरोध में यूपीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव यानी नो कॉन्फिडेंस मोशन आया था। 22 जुलाई 2008 को मनमोहन सिंह सरकार संकट में आ गई थी। सरकार को संसद में विश्वासमत हासिल करना था। इसी दौरान भाजपा के तीन सांसदों अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा ने संसद में एक करोड़ रुपए के नोट लहराते हुए वोट की खरीद-फरोख्त की साजिश का आरोप लगाया था।

भगोरा, कुलास्ते और अर्गल ने आरोप लगाया था कि अमर सिंह ने उनके यहां पैसे भिजवाए ताकि वे न्यूक्लियर बिल पर वोटिंग के दौरान मनमोहन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में वोट डाल दें। बाद में हुए एक स्टिंग ऑपरेशन में अमर सिंह के नजदीकी संजीव सक्सेना का नाम भी इस मामले में सामने आया था। इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही थी।

क्राइम ब्रांच ने अगस्त, 2011 में दायर अपने पहले आरोप पत्र में अमर सिंह और कुलकर्णी पर लोकसभा में 22 जुलाई, 2008 को पेश किए जाने वाले विश्वास मत से पूर्व कुछ सांसदों को रिश्वत देने के लिए ‘वोट के बदले नोट’ कांड की साजिश रचने का आरोप लगाया था।

हालांकि साल 2013 में दिल्ली की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता अमर सिंह, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के नजदीकी सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी और बीजेपी के 4 नेताओं को ‘कैश पर वोट’ कांड में बड़ी राहत दी थी। कोर्ट ने ठोस सबूत न होने के कारण अमर सिंह समेत कई आरोपियों को बरी कर दिया था।

इसके बाद झारखंड के मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाबी सीता सोरेन पर भी हॉर्स ट्रेडिंग में शामिल होने का आरोप लगा था। झारखंड मुक्ति मोर्चा की नेता सीता सोरेन पर मार्च 2012 में राज्यसभा चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त में शामिल होने का आऱोप था।

मार्च, 2012 में होने वाले द्विवार्षिक राज्यसभा चुनावों में मतदान के दिन तड़के रांची के नामकुम इलाके से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रिश्तेदार की गाड़ी से आयकर विभाग और पुलिस ने संयुक्त रूप से छापा मारकर दो करोड़ 15 लाख रुपये बरामद किए थे। इन रुपयों के बारे में वह कोई उचित सफाई नहीं दे सका था। इस मामले में सीता सोरेन ने 25 फरवरी को को आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था।

राज्यसभा चुनाव 2012 में हॉर्स ट्रेडिंग की आरोपी झामुमो विधायक सीता सोरेन व उनके पीए राजेंद्र मंडल के खिलाफ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आरोप गठित किये गये थे। 21 अप्रैल से सीबीआई की अदालत में गवाही शुरू हुई थी जिसमें हॉर्स ट्रेडिंग की आरोपी सीता सोरेन पर राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल से करीब डेढ़ करोड़ रुपए लेने का आरोप था। इसमें पीए राजेंद्र मंडल पर पैसे लेने में सहयोग करने का आरोप था।