गुजरात हाई कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई स्थित कारोबारी बिरजू सल्ला को विमान अगवा करने (Hijack) के आरोपों से बरी कर दिया। सल्ला को पहले 2017 में मुंबई-दिल्ली उड़ान (Mumbai- Delhi Flight) में अपहरण की धमकी भरा पत्र रखने का दोषी पाया गया था। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने विशेष एनआईए अदालत के 2019 के सल्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के फैसले को रद्द करते हुए निर्देश दिया कि उसकी जब्त की गई संपत्तियों को जारी किया जाए और ट्रायल कोर्ट द्वारा उस पर लगाया गया जुर्माना वापस किया जाए।

संदेह से भरे सबूतों के आधार पर” अपहरण के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहरा सकते

गुजरात हाई कोर्ट ने माना कि आरोपी को “संदेह से भरे सबूतों के आधार पर” अपहरण के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। 11 जून, 2019 को अहमदाबाद एनआईए अदालत ने सल्ला को अपहरण-विरोधी अधिनियम, 2016 के तहत लगाए गए सभी आरोपों के लिए दोषी ठहराया और उसे “जीवन भर के लिए आजीवन कारावास” की सजा सुनाई थी। साल 2016 में अधिनियम में संशोधन और उसे सख्त बनाए जाने के बाद इस तरह की पहली सजा थी।

एयरलाइन के दिल्ली ऑफिस में काम करती थी प्रेमिका, मुंबई वापस लाना चाहता था

जानकारी के मुताबिक बिरजू सल्ला ने कथित तौर पर उड़ान के बाथरूम में एक फर्जी हाईजैक नोट लगाया था और एनआईए ने दावा किया कि यह इस उम्मीद में था कि यह जेट एयरवेज को मजबूर कर देगा कि वह अपना दिल्ली परिचालन बंद करें और सल्ला की प्रेमिका जो एयरलाइन के दिल्ली कार्यालय में काम करती थी मुंबई वापस आ जाएगी। इस नोट के कारण अहमदाबाद में फ्लाइट की आपातकालीन लैंडिंग करानी पड़ी।

एनआईए अदालत ने सल्ला पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था

विशेष एनआईए अदालत ने सल्ला पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसमें से सल्ला को मुंबई-दिल्ली जेट एयरवेज 9W339 उड़ान के पायलट और सह-पायलट को मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये देने का निर्देश दिया गया। दो क्रू सदस्यों को जो फ्लाइट के बिजनेस क्लास (जहां सल्ला बैठा था) में काम कर रहे थे 50,000 रुपये का मुआवजा दिया जाना था। इसके अलावा फ्लाइट में सवार सभी 115 यात्रियों में से प्रत्येक को 25,000 रुपये दिए गए।

जस्टिस ए एस सुपेहिया और जस्टिस एम आर मेंगेडे की खंडपीठ ने सुनाया फैसला

जस्टिस ए एस सुपेहिया और जस्टिस एम आर मेंगेडे की खंडपीठ ने सल्ला की दोषसिद्धि को पलटते हुए और निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के खिलाफ सल्ला की अपील को स्वीकार करते हुए, निचली अदालत द्वारा लगाए गए जुर्माने को भी रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि अगर इसका भुगतान किया गया है तो सल्ला को 5 करोड़ रुपये की राशि वापस की जाए। अदालत ने उड़ान के चालक दल के सदस्यों को ट्रायल कोर्ट के निर्देशों के अनुसार भुगतान किए जाने की स्थिति में मुआवजा वापस करने का भी निर्देश दिया।

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क्रू मेंबर्स, पैसेंजर्स और एयरलाइन से वसूलकर रकम वापस दी जाए- हाई कोर्ट

खंडपीठ ने वैकल्पिक रूप से राज्य को निर्देश दिया कि वह “चालक दल के सदस्यों को भुगतान की जाने वाली राशि का भुगतान करें। राज्य को चालक दल के सदस्यों से ऐसी राशि वसूल करने के लिए कहा गया। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि जांच अधिकारी द्वारा अधिनियम के तहत जब्त की गई संपत्तियों को “तुरंत जारी किया जाएगा।” विस्तृत आदेश सार्वजनिक किये जाने की प्रतीक्षा है।