देश के सुप्रीम कोर्ट ने बिजनेसमैन मुकेश अंबानी व उनके परिवार को सुरक्षा कवर देने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार को त्रिपुरा हाई कोर्ट द्वारा जारी निर्देश पर 29 जून को रोक लगा दी है। बिकाश साहा नाम के एक व्यक्ति ने अंबानी और उनके परिवार को दी गई जेड प्लस सिक्योरिटी के खिलाफ त्रिपुरा हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिस पर हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय को तलब कर खतरे की आशंका से जुड़ी जानकारी साझा करने के निर्देश दिए थे। ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर देश के सबसे अमीर बिजनेसमैन में से एक मुकेश अंबानी किस स्तर के सुरक्षा घेरे में रहते हैं।

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पहले बिजनेसमैन जिन्हें मिली थी Z सिक्योरिटी: साल 2013 के दौरान तत्कालीन सरकार द्वारा मुकेश अंबानी व उनके परिवार को जेड (Z) सिक्योरिटी दी गई थी। हालांकि, बाद में इसे जेड प्लस में बदल दिया गया क्योंकि उन पर आतंकी हमले की आशंका जताई गई थी। ज्ञात हो कि साल 2013 में अंबानी को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन ने धमकी दी थी। उस वक्त मुकेश अंबानी देश के पहले बिजनेसमैन थे, जिन्हें Z सिक्योरिटी मिली थी।

खुद खर्च उठाते हैं अंबानी: मुकेश अंबानी व उनके परिवार की सिक्योरिटी पर हर माह करीब 15-20 लाख का खर्च आता है और वह इसके लिए खुद भुगतान करते हैं। अधिकतर मामलों में इसका भुगतान सरकार द्वारा किया जाता है। हालांकि, सुरक्षा कवर का खर्च उठाने वाले वह पहले व्यक्ति हैं। इस सुरक्षा कवर के तहत अंबानी के काफिले में एनएसजी, सीआरपीएफ और प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड्स की 6 से 8 गाड़ियां चलती हैं।

इजराइल से ट्रेंड प्राइवेट गार्ड्स और बुलेटप्रूफ गाड़ियां: अंबानी के सुरक्षा कवर में कमांडों के अलावा इजराइल से ट्रेंड करीब 20 प्राइवेट गार्ड्स भी हैं। यह गार्ड्स निहत्थे होते हुए भी दुश्मन को मौत की नींद सुला सकते हैं। बताया जाता है कि इन्हें इजराइली सिक्योरिटी-फर्म ने ट्रेंड किया है। इसके अलावा, अंबानी के काफिले की सभी गाड़ियां बुलेटप्रूफ हैं। मुकेश खुद अपनी 2.5 करोड़ रुपए की कीमत वाली बुलेटप्रूफ मर्सिडीज कार में चलना पसंद करते हैं। जबकि उनके सुरक्षा गार्ड काफिले में मौजूद मर्सिडीज, रेंज रोवर की एसयूवी में चलते हैं।

अत्याधुनिक हथियारों लैस होते हैं CRPF कमांडो: मुकेश अंबानी के सिक्योरिटी दस्ते में शामिल कमांडो उन्नत किस्म के हथियारों से लैस होते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंबानी के सुरक्षा दस्ते में शामिल कमांडों जर्मनी मेड सब-मशीन गन हेकलर एंड कोच एमपी-5 समेत कई अत्याधुनिक हथियारों को इस्तेमाल में लाते हैं। इस मशीन गन की खासियत यह है कि इससे 800 राउंड गोलियां/मिनट दागी जा सकती हैं। वहीं, जब भी अंबानी मुंबई या देश में कहीं और जाते हैं तो दस्ते में कमांडो के साथ एक पायलट और फॉलो-ऑन वाहन हमेशा उनके साथ होते हैं।

क्या है Z+सिक्योरिटी: जेड प्लस सुरक्षा कवर में सीआरपीएफ के 55 से 60 के करीब सशस्त्र कमांडो होते हैं। इस कवर में 10 पीएसओ और घर की निगरानी हेतु 10 सुरक्षा गार्ड मिलते हैं, साथ ही बुलेटप्रूफ कार, तीन शिफ्टों में एस्कॉर्ट व जरूरी होने पर अतिरिक्त जवान मुहैया कराए जाते हैं। इस वक्त मुकेश अंबानी के पास जेड प्लस सिक्योरिटी है, जिसमें करीब उन्हें 58 सीआरपीएफ कमांडों शामिल हैं। हालांकि, इन सभी के रहने-खाने की व्यवस्था भी अंबानी को ही देखनी पड़ती है।

कैसे मिलती है सुरक्षा: आसान भाषा में कहा जाए तो किसी भी व्यक्ति पर खतरे का आकलन/आशंका देश की खुफिया एजेंसी से दिए गए इनपुट के आधार पर तय किया जाता है। यदि देश के गृह मंत्रालय को लगता है कि खुफिया एजेंसी द्वारा सुझाए गए इनपुट सही हैं और अमुक व्यक्ति की जान को खतरा है तो सरकार उसे आकलन के आधार पर सुरक्षा श्रेणी प्रदान कर देती है।