दक्षिण भारत के सबसे बड़े रियल एस्टेट टाइकून और मंत्री डेवलपर्स के सीईओ और प्रबंध निदेशक सुशील मंत्री को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है। ईडी के सूत्रों ने कहा कि रियल एस्टेट टाइकून को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्त में लिया गया है। इसके बाद, मंत्री को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से सुशील मंत्री को ईडी की हिरासत में भेज दिया गया।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट में ईडी अधिकारियों के हवाले से बताया कि, जांच एजेंसी ने पाया कि बेंगलुरु में फ्लैट खरीदारों से इकट्ठा किए गए रुपयों को परियोजनाओं पर खर्च करने के बजाय मंत्री के निजी इस्तेमाल के लिए भेजा गया था। जांच एजेंसी के मुताबिक, “मंत्री के द्वारा कई वित्तीय संस्थानों से 5,000 करोड़ रुपये उधार लिया गया था और लगभग 1,000 करोड़ रुपये ओवरड्यू है। जबकि कुछ कर्जों को एनपीए करार दिया गया है।
ईडी के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चल रही जांच के सिलसिले में मंत्री को गिरफ्तार किया गया। ईडी के सूत्रों ने बताया कि, “मंत्री को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच के लिए बुलाया था और उन्हें पीएमएलए की धारा 19 के तहत हिरासत में ले लिया था।” बता दें कि, ईडी ने कंपनी, उसके निदेशकों और कई कर्मचारियों के खिलाफ 2020 में मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी के बाद 22 मार्च को जांच शुरू की थी।
ईडी के अधिकारियों का कहना है कि, सुशील मंत्री को जांच एजेंसी द्वारा 24 जून, 2022 को अपना बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह टालमटोल के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे। सुशील मंत्री पर आरोप हैं कि वह कंपनी के मामलों को छिपाने की कोशिश कर रहे थे और उन्होंने ईडी द्वारा मांगी गई जानकारी/दस्तावेज भी जमा नहीं किए।
मंत्री डेवलपर्स की परियोजना के खिलाफ कई खरीदारों ने पुलिस और ईडी के पास शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि कंपनी और कंपनी से जुड़े लोग मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें परियोजना के बारे में गुमराह किया और फ्लैटों की डिलीवरी की तारीख भी गलत बताई गई।
एक संभावित घर खरीदार ने कहा कि कंपनी ने हजारों खरीदारों से अग्रिम राशि के रूप में हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा किए, लेकिन उन्हें 7 से 10 साल बाद भी फ्लैटों का कब्जा नहीं दिया गया है।