Kerala HC On Terminating Pregnancy News: केरल हाई कोर्ट ने 21 साल की एक महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए 26 सितंबर, सोमवार को कहा कि विवाहित महिला को प्रेंग्नेसी को समाप्त करने के लिए अपने पति की मंजूरी या अनुमति की आवश्यकता नहीं है। गर्भपात के लिए क्लीनिक और डॉक्टर उससे पति की सहमति मांग रहे थे। ऐसे में उसे अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। जिस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।

केरल के कोट्टयम की महिला ने डाली थी याचिका

यह आदेश कोट्टायम की एक 21 वर्षीय लड़की द्वारा दायर एक याचिका पर जारी किया गया था, जिसने चिकित्सकीय रूप से अपनी प्रेग्नेंसी को समाप्त करने की अनुमति मांगी थी। इस मामले में, गर्भवती महिला कानूनी रूप से तलाकशुदा या विधवा नहीं है।

क्या है मामला?

इस मामले में एक 21 साल की महिला ने घरवालों के खिलाफ जाकर युवक से शादी कर ली थी, लेकिन शादी के बाद से ही युवक और उसकी मां, युवती के साथ बदसलूकी करने लगे। जब वह गर्भवती हुई तो उसका पति उसके चरित्र पर शक करने लगा। फिर युवक ने किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता देने से इनकार कर दिया। इस घटना में महिला के प्रति उसके पति और सास का व्यवहार दिन-ब-दिन बिगड़ता गया।

केरल HC ने क्या कहा, ये भी जानिए

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP Act) में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत महिला को प्रेग्नेंसी खत्म करने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़े। इस मामले में कारण बताते हुए कोर्ट ने कहा कि गर्भ व प्रसव के दौरान महिला को ही दर्द और तनाव को सहन करती है। एमटीपी एक्ट के अनुसार, 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को खत्म करने की अनुमति दी जाती है अगर यह विधवा महिला या तलाक के दौरान होती है।

अदालत ने इन तथ्यों पर दी प्रेग्नेंसी को खत्म करने की अनुमति

इस सबके बीच महिला की याचिका पर जब केरल हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई की गई तो जस्टिस वीजी अरुण ने कहा कि महिला के साथ उसके पति का बदला व्यवहार दिखाता है कि वह (पति) महिला के साथ शादी बनाए रखने में दिलचस्पी नहीं रखता है। साथ ही युवती ने इस संबंध में अपने पति के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को मेडिकल कॉलेज, कोट्टायम या किसी अन्य सरकारी अस्पताल में अपनी प्रेग्नेंसी को खत्म करने की अनुमति दी जाए।