आज के समय में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में काफी शांति है। कभी माफिया और बाहुबली इन इलाकों में अपने कारनामों से पूरे प्रदेश को चौंका देते थे। लखनऊ में साल 1995 में हुए गेस्ट हाउस कांड हुआ था। उस वक्त मायावती एक कमरे में बंद थी और बाहर लोगों का भारी हुजूम था। इसी हुजूम में एक नाम ओमप्रकाश पासवान का भी रहा, जो गोरखपुर के बाहुबली विधायक माने जाते थे।
लखनऊ में 2 जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस कांड में भीड़ को उकसाने का आरोप ओमप्रकाश पासवान पर ही था। इसी गेस्ट हाउस कांड ने मायावती और मुलायम में रार पैदा कर दी थी। गेस्ट हाउस कांड के बाद ही ओमप्रकाश पासवान का नाम उछला था। इसके अलावा, उन्हें गोरखधाम मठ और वीरेंद्र शाही का करीबी भी माना जाता था।
उन दिनों गोरखपुर में वीरेंद्र शाही और बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बीच ठनाठनी का माहौल था। कहते हैं कि वीरेंद्र शाही को मजबूत करने के मकसद से ही ओमप्रकाश पासवान को खड़ा किया जा रहा था। साल 1996 आया तो लोकसभा चुनाव होने वाले थे। उस वक्त ओमप्रकाश पासवान बांसगांव संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे।
लोकसभा चुनाव की तैयारियां चरम पर थी इसलिए ओमप्रकाश पासवान भी जगह-जगह चुनावी जनसभा संबोधित कर रहे थे। 25 मार्च 1996 को एक चुनावी जनसभा के लिए ट्रैक्टर की ट्राली को मंच का रूप दिया गया। ओमप्रकाश पासवान इसी दिन अपने संसदीय क्षेत्र में इस जनसभा को संबोधित करने पहुंचे। शाम को 06:30 का वक्त था और जैसे ही ओमप्रकाश पासवान भाषण खत्म कर मंच से नीचे उतरने लगे कि तभी एक जोरदार धमाका हुआ।
इस धमाके में ओमप्रकाश पासवान और उनके करीबी कामेश्वर सिंह की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इसके अलावा दर्जनों लोग इस धमाके में घायल हुए और अफरातफरी के बीच हमलवार फरार हो गए। इस हत्या का आरोप राकेश यादव पर लगा। यह वही राकेश यादव हैं, जिनको कभी बसपा की तरफ से गोरखपुर में मानीराम विधानसभा से टिकट दिया गया था फिर सपा में भी रहे।
ओमप्रकाश पासवान के करीबी कामेश्वर सिंह के चाचा ने इस पूरे मामले में केस दर्ज कराया था। इस हाईप्रोफाइल मर्डर मामले में जांच के दौरान छह लोगों की संलिप्तता पाई गई थी। हालांकि, कई सालों तक चले मुकदमें में राकेश यादव ही जिंदा रहे और बाकी आरोपियों की मृत्यु हो गई थी। फिर साल 2018 में राकेश यादव को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।