सौम्या मर्डर केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने 5 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इस मामले में अदालत को सबूत पेश करने में अभियोजन पक्ष को 13 साल से अधिक समय लग गया। अब मामले में एक अधिकारी ने कहा कि हाथ पर बने एक टैटू, एक पुलिसकर्मी की चोरी हुए वायरलेस सेट और सीसीटीव फुजेट ने दिल्ली पुलिस को आईटी पेशेवर जिगिशा घोष की हत्या के मामले को सुलझाने में मदद की। इसके बाद ही पुलिस टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन के हत्यारों तक पहुंच पाई।

सौम्या मर्डर केस में रवि कपूर, अमित शुक्ला और बलजीत मलिक को 2009 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्होंने विश्वनाथन की हत्या की बात कबूल की। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बुधवार को विश्वनाथन की हत्या के लिए चारों आऱोपियों कपूर, शुक्ला, मलिक और अजय कुमार को दोषी ठहराया। वहीं अदालत ने 5वें आरोपी अजय सेठी को धारा 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दोषी ठहराया।

18 मार्च 2009 को जिगिशा घोष की लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई

मामले की जांच करने वाले अधिकारी अतुल कुमार वर्मा ने बताया कि फरीदाबाद के सूरज कुंड इलाके से जिगिशा का शव बरामद हुआ था। इसके दो-तीन दिन बाद ही जिगिशा की हत्या का मामला सुलझ गया। हमें पहली सुराग सीसीटीवी फुटेज से मिली थी। फुटेज में हमने देखा कि जिगिशा के डेबिट कार्ड से खरीदारी करते समय आरोपी के हाथ पर टैटू बना हुआ था। वहीं दूसरे आरोपी के पास वायरलेस सेट था और उसने टोपी पहन रखी थी।

इसके बाद अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस के ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क की मदद ली और जल्द ही मसूदपुर स्थित मलिक के घर पहुंच गई। इसके बाद पुलिस ने कपूर और शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया। मलिक ने हाथ पर अपने नाम का टैटू गुदवाया हुआ था जबकि कपूर एक वायरलेस सेट रखता था। उसने वह वायरलेस एक पुलिस अधिकारी से छीन लिया था।

वर्मा ने आगे कहा “आरोपियों ने खुलासा किया कि उन्होंने वसंत विहार में घर के पास से जिगिशा का अपहरण कर लिया और बाद में उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उन्होंने जिगिशा का सामान लूट लिया और शव को फेंक दिया। उन्होंने उसके डेबिट कार्ड से खरीदारी भी की।”

आरोपियों ने किया सौम्या की हत्या का खुलासा

वर्मा ने कहा, “पूछताछ में आरोपी रवि कपूर ने खुद खुलासा किया कि उन्होंने नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक और लड़की की हत्या की है तो हमें थोड़ा झटका लगा।” वह एरिया वसंत विहार से बहुत दूर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि दो अन्य दोस्त अजय कुमार और अजय सेठी भी उस हत्या में शामिल थे।

इसके बाद तत्कालीन पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) एचजीएस धालीवाल ने तुरंत अधिकारियों की एक टीम गठित की और दोनों हत्या मामलों की जांच के लिए तत्कालीन एसीपी भीष्म सिंह को नियुक्त किया। सिंह ने कहा ”हमारे पास सौम्या हत्या मामले में सिर्फ आरोपियों का कबूलनामा था। इसलिए हमारे सामने बड़ी चुनौती फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की भी थी।” अब देखना है कि सौम्या के हत्यारों को कब सजा मिलती है।

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