विधायक के गराज से दो लाशें मिलीं। यह खबर शहर में आग की तरह फैल गई और फिर देखते ही देखते सियासत की गलियों में भी पहुंच गई। खास बात यह है कि उस वक्त सरकार भी इसी विधायक की पार्टी की थी लिहाजा हुआ वहीं जिसका अंदेशा पहले से ही लगाया जा रहा था। दो लाशों की असली सच्चाई कभी सियासत के गलियारे से बाहर नहीं आ सकी। लेकिन उम्मीद थी कि कानून जरुर इन दो मौतों की हक़ीक़त को बेपर्दा कर देगा पर अफसोस की ऐसा हो ना सका। आज हम बात कर रहे हैं बिहार के चर्चित केस शिल्पी जैन और गौतम सिंह सुसाइड केस की।
3 जुलाई साल 1999 को खूबसूरत शिल्पी जैन और गौतम सिंह की लाश पटना के फ्रेजर रोड स्थित एक क्वार्टर के गराज में मिली। यह क्वार्टर नंबर-12 उस वक्त राज्य की सत्तानशीं पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के विधायक साधु यादव का था। बता दें कि साधु यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के साले हैं। शिल्पी, कमला स्टोर के मालिक उज्जवल कुमार जैन की बेटी थी तो गौतम के पिता बीएन सिंह राजद के बड़े नेताओं के बेहद करीबी माने जाते थे। 3 जुलाई के दिन शिल्पी और गौतम पिछले करीब 8 घंटे से लापता था और अचानक जब उनकी लाश विधायक के फ्लैट से मिली तो हड़कंप मच गया।
सबसे ज्यादा हैरानी उस वक्त पुलिस की जांच पर लोगों ने जताई थी। कहा जाता है कि गराज तक पुलिस के पहुंचने से पहले कई विधायक समर्थक वहां पहुंच गए थे और उन्होंने वहां हंगामा भी किया था। इतना ही नहीं उजले रंग की जिस मारुति ज़ेन में शिल्पी और गौतम की लाश मिली थी उस गाड़ी को पुलिस खींच कर नहीं बल्कि ड्राइव कर के ले गई थी। एक संदिग्ध कार को मौका-ए-वारदात से ड्राइव कर ले जाने की वजह से गाड़ी से काफी फिंगर प्रिंट मिट गए थे। पुलिस जब इस मामले की जांच में जुटी तो शुरुआत से ही इन दोनों मौतों को आत्महत्या बता रही थी। पुलिस की थ्योरी के मुताबिक दोनों की मौत कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस की वजह से हुई थी।
लेकिन शिल्पी और गौतम के विसरा रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि दोनों के शरीर में Lethal Aluminum Poison था। इतना ही नहीं कई लोगों ने दावा किया था कि शिल्पी के शरीर पर जूतों के भी दाग थे लेकिन पुलिस इस बात से हमेशा इनकार करती रही। इतना ही नहीं शिल्पी के शरीर पर एक ज्यादा लोगों के Semen के सैंपल भी पाए गए थे और ऐसा क्यों था? पुलिस इसका भी सटीक जवाब नहीं दे सकी थी। उस वक्त दबी जुबान में यह भी कहा जा रहा था कि दरअसल इन दोनों की मौत 2 जुलाई को ही हो गई थी और दोनों की हत्या कहीं और की गई थी।
यह मामला बाद में सीबीआई के पास भी गया। मामले में उस वक्त अधिकारियों ने राज्य के एक बाहुबली विधायक से उनका डीएनए सैंपल मांगा ताकि शिल्पी के डीएनए से उसका मिलान किया जा सके। लेकिन बाहुबली विधायक ने इससे इनकार कर दिया। शिल्पी के डीएनए रिपोर्ट से पता चला कि मौत से पहले उसके साथ एक से ज्यादा लोगों ने बलात्कार भी किया था। इस मामले में आरोपियों की पहचान उजागर नहीं की गई थी और बाद में कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान आरोपियों को क्लीन चिट भी दे दिया गया था। कुछ सालों बाद शिल्पी के भाई ने इस केस को फिर से खुलवाने और इसकी जांच करवाने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान उनका भी अपहरण हो गया। परिणाम यह हुआ कि यह केस भी आज तक अनसुलझा है और इसे आत्महत्या का नाम दिया जाता है। (और…CRIME NEWS)