पिछले कुछ दिनों से रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध छिड़ा हुआ है। दोनों के बीच आधिकारिक स्तर की वार्ता भी बेनतीजा साबित हुई। 1991 में जब सोवियत संघ के विघटन के समय यूक्रेन स्वंतत्र गणराज्य बना, तो उसने एक भी परमाणु हथियार नहीं लिया। आज यूक्रेन के जांबाज सैनिक युद्ध में बहुत बहादुरी के साथ लड़ रहे हैं, मगर परमाणु संपन्न रूसी सेना के सामने वे कितने दिन टिक पाएंगे। इस समय रूस को मालूम है कि यूक्रेन परमाणु हथियारों के बिना असहाय है और रूस का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। हालांकि परमाणु हथियार इस दुनिया के बहुत ज्यादा घातक हैं और किसी दिन विनाशकारी साबित होंगे, लेकिन अपने देश की सुरक्षा के लिए यह आज के समय की मांग बनता गया है।
नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर
पुलिस की सक्रियता
पुलिस की स्थापना समाज में शांति, सुरक्षा और भाईचारा बनाने के लिए की गई थी। जब कोई समाज अपराध मुक्त, भयमुक्त, तनाव मुक्त होगा तभी समाज में प्रगति को पंख लगेंगे। पुलिस समाज का सुरक्षा कवच और कानून का रक्षक है, लेकिन आज के समय में अपराध का बदलता स्वरूप लोगों और पुलिस के लिए चुनौती का विषय बन गया है। शराब माफिया, रेत माफिया, भू-माफिया, स्वर्ण व्यवसायी, हत्या, बलात्कार, अपहरण, अगवा, साइबर अपराध आदि समाज में भय का माहौल पैदा कर पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया है। यह भी सच है कि पुलिस कुछ मामलों में कार्रवाई तक नहीं करती। पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार भी एक बहुत बड़ा कारण है, जो समाज पुलिस पर विश्वास नहीं कर पाता है कि वह हमारे साथ न्याय कर पाएगी।
इसमें लोगों के सहयोग की भी जरूरत है, जिनके लिए पुलिस को निरंतर युवा जनसंवाद, महिला बुजुर्गों से संवाद करने की जरूरत है। वह उनसे अपील कर अपनी सहभागिता करने के लिए कहे। साथ ही लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे की कोशिश होनी चाहिए। पुलिस की कार्यशैली का वरीय पदाधिकारियों द्वारा बराबर निरीक्षण किया जाना चाहिए और शहरों में व्यवसायी जनसंवाद तथा उनके दिए गए फीडबैक पर कार्यवाही करने की जरूरत है।
साथ ही नगर पालिका टीम को अतिक्रमण मुक्त शहर बनाने के लिए आगे आना चाहिए और भीड़-भाड़ वाली जगहों, दुकान, शापिंग माल, कोचिंग कक्षाओं, पेट्रोल पंप, बैंकों आदि में सीसीटीवी कैमरा लगाने की जरूरत है, जिससे पुलिस को समय पर पहुंचने में मदद मिले! जनता में जब तक अविश्वास बना रहेगा तब तक समाज को अपराध मुक्त बनाना असंभव है।
एस कुमार, चंदवारा, लालगंज
सहजानंद का रास्ता
स्वामी सहजानंद सरस्वती की कर्मभूमि पटना बिहटा, जहां किसानों के आंदोलन के लिए सीताराम आश्रम बनाया था। वहीं से अखिल भारतीय किसान आंदोलन शुरू हुआ था, जो रामगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, बंगाल में किसानों के हक के लिए अधिवेशन शुरू हुए थे, जिनमें सुभाष चंद्र बोस, आचार्य नरेंद्र देव भी शामिल हुए थे, उन सबको भुला दिया गया है। इन्हीं की संघर्षों की देन थी कि देश से जमींदारी उन्मूलन हुआ। उसमें बिहार पहला सूबा था। काश, उनके विचारों को हमने आत्मसात किया होता।
वे कहते थे कि जिस देश के परलोक और स्वर्ग का ठेका निरक्षर और भ्रष्टाचारी पंडे- पुजारियों के हाथ में हो, कठमुल्लों तथा पापी पीर-गुरुओं के जिम्मे हो, उसका तो खुदा ही मालिक है। वे जमींदारों को ललकारते हुए कहते थे कि कैसे लोगे मालगुजारी, लठ हमारा जिंदाबाद। वे एक साथ कलम और कुदाल चलाने की वकालत करते थे। आज न सहजानंद जैसी समतामूलक दृष्टि है, न पाखंड को उखाड़ने की चेतना, बल्कि उल्टे आज पाखंड और धर्मांधता अपने चरम पर है और इसी रास्ते विश्व गुरु बनने का स्वप्न दिखाया जाता है।
प्रसिद्ध यादव, बाबूचक, पटना