भारत में बारह राष्ट्रीय कृत बैंक हैं। इसके अतिरिक्त बहुत से बड़े निजी बैंक भी हैं जो सेवा दे रहे हैं। बैंकों का प्रमुख उद्देश्य जमाकर्ताओं की राशि की रक्षा करना भी है। उनकी जमा राशियों को पर्याप्त जांच के बाद उन्हें प्रदान किया जाता है, ताकि गलत नगदी व्यवहार न हो। बैंको में बढ़ती भीड़ एक प्रमुख समस्या रही है, जिसके लिए ग्राहक सेवा केंद्र खोले गए हैं। इसका मकसद ग्राहकों को जल्दी सेवा प्रदान करना है। लेकिन इसके अलावा जिस तरह सारे खातों को आधार से जोड़ा गया है, अब बहुत से छोटे-छोटे पेमेंट बैंक बन चुके हैं जो किसी भी बैंक के खाते से ग्राहकों के आधार नंबर और अंगुलियों के निशान का प्रयोग करके राशि का आहरण कर सकते हैं।

हमारे देश में जागरूकता और तकनीकी शिक्षा की जो स्थिति है, उसमें आगे चल कर यह प्रक्रिया एक बड़े वर्ग के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकती है। समाज में शिक्षित वर्ग के लिए एटीएम और अन्य उपाय हैं, जिसके उपयोग से वे राशि का आहरण कर सकते हैं। जानकारी रखने वाले लोग सावधानी से उपयोग करते हैं इन सुविधाओं का। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के बीच आमतौर पर इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। इसीलिए आधार से जुड़ी भुगतान सेवाओं में इनके लिए अधिक सावधानी रखने की आवश्यकता है। आज कल बहुत से प्रतिनिधि हैं जो इसका फायदा उठा रहे हैं। सिम कार्ड प्रदान करने के बहाने या बल्ब देने के लिए लोगों से उनके आधार नंबर और अंगुलियों के चिह्न लिए जाते हैं और उसके जरिए राशि उनके खाते से निकाल ली जाती है।

अगर गलत नगदी व्यवहार उसी बैंक के प्रतिनिधि द्वारा हुआ हो तो उसकी पहचान आसानी से हो जाती है। लेकिन अगर किसी दूसरे बैंक या फिर कोई अनजान व्यक्ति धोखाधड़ी और जालसाजी करने वाले व्यक्ति ने ऐसा किया हो तो पीड़ितों की कोई मदद करने को तैयार नहीं होता। ऐसे अपराधी मुश्किल से पकड़ में आते हैं। कई बार अपने बैंक खाते में जमा राशि की भी जानकारी खाता धारकों को नहीं होती, जिसके चलते वे इस धोखाधड़ी में काफी नुकसान झेल सकते हैं। ग्राहकों को सुविधा देने के लिए जितनी पहलकदमियां हो रही हैं, उसमें काफी सावधानी की जरूरत है।
’नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, छिंदवाड़ा, मप्र