मोदी सरकार द्वारा ‘राष्ट्रवाद’ और ‘कानून का राज’ को लेकर दोहरापन जारी है। आरएसएस के जरिए एक ऐसा राजनीतिक वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है, ताकि वे अपने राजनीतिक विरोधियों का शिकार कर उन्हें ‘कानून का राज’ बता सकें। अनुपम खेर चाहे जितना मोदी सरकार का बचाव करें और असहिष्णुता के निरंतर पैदा किए जा रहे वातावरण से शुतुरमुर्गी आंखें मूंद रहे हैं, लेकिन यह आग एक दिन उनको भी झुलसाए बिना नहीं रहेगी। इक्कीस दिन की जेल से रिहाई के बाद जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के अनेक चैनलों पर हुए साक्षात्कार के बाद उन पर देशव्यापी फैलाए गए ‘देशद्रोही’ के आरोप स्वाहा हो गए।
फर्जी वीडियो और बाकी करतूत सामने आने से बौखलाई भाजपा और उसके भक्तों द्वारा कन्हैया की जीभ काटने और उसे गोली मारने पर ईनाम देने जैसे बयानों में भी अनुपम खेर को असहिष्णुता नहीं दिखी, जैसे कि उन्हें अखलाक को गोमांस की अफवाह पर पीट-पीट कर मारने, कलबुर्गी, पानसरे और दाभोलकर जैसे बुद्धिजीवियों की हत्या और इसका विरोध करने वालों को दी गई धमकियों में नहीं दिखा था। ‘कानून के राज’ में उनके वकीलों ने न केवल कानून को अपने हाथ में लेकर कन्हैया को कोर्ट परिसर में पीटा, बल्कि पुलिस मूक बनी रही। आंदोलन के दबाव में पिटाई करने वाले वकीलों में से नाम के लिए दो की गिरफ्तारी हुई, पर उसी समय थाने के स्तर पर ही जमानत भी दे दी गई, जबकि कन्हैया को कोर्ट से जमानत, वह भी सशर्त देने में इक्कीस दिन लग गए। यह कैसा कानून का राज है?
जिस मुफ्ती मोहम्मद सईद ने अफजल गुरु को फांसी दिए जाने का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, उन्हें देशद्रोही मानना तो दूर, उनकी पार्टी के साथ भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई और जिस हुर्रियत से पाकिस्तानी उच्चायुक्त द्वारा बात कर लिए जाने के नाम पर इसी मोदी सरकार ने पाकिस्तान से वार्ता स्थगित कर दी थी, उसी हुर्रियत से संवाद करने की बात को न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शामिल करके पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर भाजपा देशद्रोही नहीं हुई।
जबकि अफजल गुरु के समर्थन में फर्जी वीडियो में दिखाए नारे का आरोप चस्पां कर कन्हैया को देशद्रोही बताने में कोई हिचक नहीं हुई। इतना ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी की सजा माफ करने की जयललिता की सिफारिश, जिस पर गृहमंत्री ने विचार करने की बात कही और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंतसिंह के हत्यारों की फांसी की माफी के प्रकाश सिंह बादल के विचारार्थ आवेदन को लेकर न गृहमंत्री, न जयललिता और न प्रकाश सिंह बादल में से किसी को देशद्रोही कहा गया। संविधान से परे यह कैसा कानून का राज है?
’रामचंद्र शर्मा, तरूछाया नगर, जयपुर</p>