दीपावली हालांकि अभी लगभग डेढ़ महीने दूर है। लेकिन बेहतर होगा कि हम अभी से तय कर लें कि इस बार हम पटाखे नहीं फोड़ेंगे। सच पूछा जाए तो यह दीपावली तय कर देगी कि हम लोगों ने स्वच्छता अभियान को कितनी गंभीरता से लिया है? दीपावली के दिन हम लोग पटाखे फोड़ कर अपनी खुशियों का इजहार करते हैं। परेशानी की बात यह है कि ऐसा करके हम अनावश्यक शोर पैदा करने के साथ-साथ जल, थल और नभ को भी गंदा करते हैं। दीपावली की रात हवा में पटाखों से निकले जहरीले रसायन सांस संबंधी बीमारियों को पैदा करते हैं। हम सभी जानते हैं कि दीपावली की अगली सुबह गलियां, मोहल्ले और सड़कें पटाखों के जलने से पैदा हुए कचरे से भरे रहते हैं।
एक दिन स्वच्छता कार्यक्रम में भाग लेने से देश स्वच्छ नहीं होगा। इसके लिए तो हमें हर समय यह ध्यान रखना होगा कि हम कोई ऐसा काम न करें जिससे स्वच्छता अभियान बाधित हो। कोरोना के चलते तो हमें और भी अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
’सुभाष चंद्र लखेड़ा, नई दिल्ली</p>
एक और काला दिन
बीता शुक्रवार पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के लिए एक बार फिर काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा। तीन मार्च 2009 को लाहौर में गद्दाफी स्टेडियम के पास श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर आतंकियों ने हमला करके जो नुकसान पाकिस्तानी क्रिकेट को पहुंचाया था, लगभग वैसा ही नुकसान 17 सितंबर को रावलपिंडी में पहुंचाया गया जब न्यूजीलैंड की टीम ने एक दिवसीय खेल के शुरू होने के चंद मिनट पहले ही सुरक्षा कारणों से वहां नहीं खेलने का एलान कर दिया। एक बार फिर पाकिस्तान सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेइज्जत होना पड़ा है। पिछले दस वर्षो से जिस तरह से पाकिस्तान ने अपना घरेलू मैदान दुबई, शारजाह और अबू धाबी को बना रखा है, उससे लगता है कि अगले दस वर्षों तक इन्ही मैदाओं में पाकिस्तान टीम को मेहमान टीमों के साथ खेलना होगा। दहशतगर्द और अजगर एक ही प्रजाति के होते हैं। उन्हें दूध पिलाने का खमियाजा तो आपको भुगतना ही था।
’जंग बहादुर सिंह, गोलपहाड़ी,जमशेदपुर