एक जानकारी के मुताबिक पन्ना टाइगर रिजर्व में गिद्धों के व्यवहार और रहवास के मामले में गिद्धों को पकड़ कर जीपीएस ट्रैगिंग की जा रही है। यह गिद्धों के विलुप्त होने से रोकने और संरक्षण की अनूठी पहल है। पन्ना टाइगर रिजर्व में उपलब्ध पच्चीस गिद्धों को सौर ऊर्जा चलित जीपीएस उपकरणों से टैग किया गया है। इसमें तीन त्वरण सेंसर शामिल है। जीपीएस टैग की डाटा उपग्रह के माध्यम से निगरानी की जा रही है। गिद्धों को आसमान में मंडराती स्थिति को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमीन पर कोई मृत जानवर पड़ा होगा। उनकी पैनी निगाह उड़ते हुए भी जमीन पर पड़े मृत जानवर की पहचान कर लेती है।

वर्तमान में गिद्ध दिखाई नहीं देते। न दिखाई देना गिद्धों की कमी दर्शाता है। हाल में आई एक खबर के मुताबिक गिद्धों की तस्करी की जा रही है और उसका उपयोग यौनशक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह खुलासा तस्करी के दौरान पकड़े गए तस्करों ने किया। गिद्धों की तस्करी पर रोक आवश्यक है। गिद्धों की रक्षा में हर व्यक्ति, संस्थाओं को सहयोग के लिए आगे आना होगा, ताकि गिद्धों के संरक्षण और पर्यावरण स्वच्छता के लाभ के साथ गिद्धों की संख्या में वृद्धि होकर उनके आवासीय स्थल भी सुरक्षित हो सके।

पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्धों की संख्या में कमी का कारण प्रदूषण, घटते जंगल, विषैले पदार्थ खा लेना आदि है, जिनके चलते इनका जीवन प्रभावित हुआ है। पर्यावरण हितैषी गिद्ध धरती पर जहां संक्रमण को रोकते हैं, वहीं स्वच्छता में हमारे सहयोगी रहे हैं। इसलिए इन्हें विलुप्त होने से बचाना हमारी जिम्मेदारी है।
संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, मप्र

सद्भाव का तकाजा

‘आस्था बनाम अराजकता’ (संपादकीय, 19 अप्रैल) पढ़ा। देश में समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों में रामनवमी, हनुमान जयंती आदि अवसरों पर शोभायात्रा निकालने पर हिंसा फैलाने वाले शरारती तत्त्वों द्वारा पत्थरबाजी या और कोई रुकावट पैदा करके माहौल खराब किया जाता है। इसी तरह रमजान की नमाज में भी कुछ शरारती तत्त्वों द्वारा विघ्न पैदा करके माहौल को तनावपूर्ण बनाने की कोशिश की जाती है। कहना न होगा कि कुछ समय से हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी सौहार्द तथा गंगा-जमुनी संस्कृति का लोप हो रहा है।

अगर इस किस्म की बातें देश की राजधानी दिल्ली में हो जाएं और सरकार को इसकी खबर न हो और अगर हो तो आवश्यक कार्रवाई न की जाए, तो सचमुच यह हैरानी की बात होगी। कई बार कार्रवाई किए जाने पर माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो जाता है। सांप्रदायिक माहौल को तनावपूर्ण बनाने में हमारे देश के टीवी चैनलों का मुख्य हाथ है। सवेरे से लेकर रात तक टीवी चैनल दंगों को खूब दिखा कर भड़काऊ भाषणों को प्रसारित करते रहते हैं, जिससे दोनों समुदायों के लोगों के मन में एक-दूसरे के प्रति द्वेष की भावना पैदा होना स्वाभाविक है।

जब कभी हिंदुओं द्वारा कोई शोभायात्रा निकाली जाए, तो कोशिश करनी चाहिए कि वह मुसलिम बहुल क्षेत्रों से होकर न जाए, उत्तेजक नारे न लगाए जाएं, भड़काऊ भाषण न दिए जाएं। शुरू से लेकर आखिर तक जुलूस के साथ भारी संख्या में सशस्त्र पुलिस हो। यही कुछ मुसलमानों के आयोजनों पर भी लागू होना चाहिए। आजकल हिजाब और अजान को लेकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विवाद चल रहा है। इससे सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटा कर दोनों समुदायों में शांतिपूर्वक माहौल बनाना चाहिए। जहां मंदिर और मस्जिद पास-पास हों, वहां दोनों समुदायों के नेताओं को समझदारी से काम लेते हुए अपनी आस्था के अनुसार अनुष्ठान करना चाहिए। एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

यह देश सभी समुदायों का है। यहां सब मिलजुल कर रहते हैं, दूसरे के त्योहार मिलजुल कर मनाते हैं। इतिहास की पुरानी बुरी बातों को मिट्टी में दफन करके सौहार्दपूर्ण माहौल तथा भाईचारे को बढ़ावा देना चाहिए। संविधान में सभी धर्म के लोगों को एक समान अधिकार दिए गए हैं।
शाम लाल कौशल, रोहतक, हरियाणा