मशहूर शायर जौक ने कहा था कि कौन जाए दिल्ली की गलियां छोड़कर, लेकिन आज अगर वे होते तो कहते कि कौन जाए दिल्ली में मरने के लिए! आज दिल्ली शहर के हालात कुछ ऐसे ही हैं। शहर जहरीली गैस का चैंबर जैसा बन गया है, दमघोंटू प्रदूषण, गलियों में गंदगी के अंबार, सड़कों पर लंबा जाम, कोरोना राजधानी का ठप्पा। आज ये पहचान है दिल्ली शहर की। लेकिन आम आदमी मजबूर हैं। कर भी क्या सकते हैं? जिन्हें करना चाहिए, वे सिर्फ गाल बजा रहे हैं, कर कुछ नहीं रहे।

राज्य सरकारें और केंद्र सरकार एक दूसरे पर सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। कभी आॅड-इवन, कभी रेड लाइट पर गाड़ी बंद और कभी पानी के छिड़काव की बातें करके सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं जिससे हालात सुधरें। यथा राजा, तथा प्रजा की कहावत भी यहां लागू होती है।

लोगों को गंदगी फैलाते और सड़कों पर थूकते हुए आसानी से देखा जा सकता है। दीपावली पर सुप्रीम कोर्ट और सरकार पटाखे न चलाने की चेतावनी देती है, इसके बावजूद इस शहर में करोड़ों रुपए खर्च करके पटाखे चलाए जाते हैं। शहर में रहने की गुंजाइश नहीं बची। आने वाली पीढ़ियां यह जरूर कहेंगी कि हमारे पूर्वजों ने क्या हाल किया है इस शहर का!
’चरनजीत अरोड़ा, नरेला, दिल्ली</p>

नतीजों के संकेत

बिहार चुनाव में एनडीए की बहुत बड़ी जीत हुई। एग्जिट पोल के अनुसार, वहां एनडीए का पत्ता पूरी तरह साफ बताया गया था। खासतौर पर जनता दल यूनाइटेड, लेकिन सारे पूवार्नुमान असफल हो गए। भाजपा ने जदयू से ज्यादा सीटें जीती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिर अपनी लोकप्रियता सिद्ध की है। दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने अपने बलबूते पर इतनी अधिक सीटें जीतीं।

उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव के नाम के बिना यह चुनाव लड़ा। यह राजद के अंदर प्रमुखता को दर्शाता है। वह अभी महज इकतीस साल के हैं और उसके भविष्य चमकदार है। सारे चुनाव प्रचार के दौरान चिराग पासवान नकारात्मक बोलते रहे। उन्होंने अपने पांव पर खुद कुल्हाड़ी मारी। उनकी पार्टी ने केवल एक सीट जीती। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार की निंदा की।

यही कारण है कि नीतीश कुमार को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ। अब नीतीश कुमार चौथी बार भाजपा की मदद से अपनी सरकार बनाने जा रहे हैं। बिहार एक पिछड़ा राज्य है। उम्मीद है, नई सरकार राज्य में विकास करेगी, क्योंकि बिहारी बहुत मेहनती और समझदार होते हैं। देश को इसका सबसे बढ़िया फायदा उठाना चाहिए।
’नरेंद्र कुमार शर्मा, जोगिंदर नगर, हिप्र

हमदर्दी के हाथ

दीपावली के पर्व की शुरुआत हो चुकी। इस पावन पर्व को हम सभी हर्षोल्लास से मनाते आ रहे हैं। जरूरी भी है हर त्योहारों, परंपराओं को दिलोजान से खुशी-खुशी मनाना भी चाहिए। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण महामारी ने कई घरों के दीपक हमेशा के लिए बुझा दिए। ऐसे लोगों के अंतर्मन के अंधियारे को हम सभी ने मिल कर रोशन करना चाहिए।

इस वर्ष मातम, चिंता और महामारी के मौत के मंजर ने इतना भय का माहौल बनाया कि आदमी आज बुरी तरह से आर्थिक और सामाजिक रूप से टूट चुका है। अंतर्मन में खामोशी और उदासी हावी है। जरूरत इस बात की है कि हम यह दीपावली उन परिवारों के लिए समर्पित करे जो अभाव में जी रहे है।

गरीब वर्ग की दीपावली में सहायता के हाथ बढ़ा कर हम उनके साथ यह त्योहार मनाएं। हम अपने लिए तो हर वक्त कुछ न कुछ करते ही रहते हैं, अपने लिए तो जीते ही हैं, इस दीपावली हम दूसरों के लिए भी जीयें। शायद सुकून हासिल होगा।
’योगेश जोशी, बड़वाह, मप्र