बीते वर्ष 2020 से लेकर इस वर्ष 2021 में भी अब तक कोरोना का कठिन दौर चल रहा है, देश की आर्थिक व्यवस्था उतनी रफ्तार से नहीं चल रही है, जितनी चलनी चाहिए। देश का कारोबार और उद्योग जगत भी पटरी पर नहीं आया है। इस कारण कुछ छोटे कारोबार और उद्योगों की हालत अभी भी खस्ता हालत होगी।

अब देश में कोरोना कि दूसरी लहर ने रफ्तार पकड़ी है। सरकारें और प्रशासन इससे निपटने के लिए भरसक प्रयास भी कर रही हैं। इसके लिए कुछ राज्य सरकारों ने अपने यहां रात का कर्फ्यू और कहीं-कहीं पूर्णबंदी तो कहीं-कहीं शनिवार और रविवार को कर्फ्यू लगाने का मन बनाया है। यह कोरोना को हराने के लिए सरकारों का अच्छा प्रयास है, लेकिन इससे उद्योगों, कारोबारियों और दुकानदारों को भारी नुकसान होने की भी संभावना है।

केंद्र और राज्य सरकारों को इनकी उसी तरह मदद करनी चाहिए, जिस तरह गरीबों की मुफ्त का अन्न और धन बांट कर करती हैं। यही नहीं, मध्यम वर्गीय परिवारों, और निजी क्षेत्र में नौकरी और काम करने वालों की मदद करनी चाहिए। यानी सरकारों को देश के हर वर्ग का खयाल रखना चाहिए।
’राजेश कुमार चौहान, जालंधर, पंजाब</p>

अराजक अस्पताल

केंद्र और राज्य सरकारें इतना जरूर समझ लें कि जितनी अनमोल बेशकीमती जानें काल के आगोश में समा गई हैं, उनके पीड़ित परिजनों की बददुआएं जरूर लगने वाली हैं, जिनकी लापरवाही से मरीजो को समय पर आॅक्सीजन, बिस्तर आदि आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पाईं। वे लोग जरूर सरकार से प्रसन्न और खुश हैं, जिन्हें कोरोना से मुकाबला करने के लिए सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित इलाज मिल गया।

फिलहाल निजी अस्पतालों में जबर्दस्त मनमानी चल रही है। चौतरफा बीमारों और तीमारदारों को जम कर लूटा जा रहा है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का यह कथन स्वागत योग्य है कि अगर निजी अस्पतालों ने कोविड-19 के इलाज के नाम पर मनमानी वसूली बंद नहीं की तो सरकार निजी अस्पतालों का प्रबंधन अपने हाथ में लेगी। समाज का वह वर्ग जो यह सोच रहा है कि कठिनाई के दौर में जितना हो सके, कालाबाजारी कर ले, दवाइयां कई गुना दामों पर बेच ले, वे मानवता के अपराधी हैं। वे सब दंडित होंगे जो समाज-मानवता विरोधी, कानून विरोधी और संविधान विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। करनी का फल भुगतना हर किसी को पड़ेगा।
’युगल किशोर शर्मा, फरीदाबाद, हरियाणा