विपक्षी दलों के सांसद तो इस मामले में बदनाम हैं ही, इन बैठकों से सत्तारूढ़ दल के सांसदों का गायब रहना भी गंभीर मामला है। इसका कारण यह है कि संसद में प्रस्तुत किए जाने वाले विषय बेहद जटिल होने के साथ ही जनता की भलाई की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होते हैं।
इन पर विस्तृत विचार विमर्श होना चाहिए, ताकि उत्कृष्ट परिणाम हासिल किए जा सकें। विभिन्न संसदीय समितियों के गठन और इनकी नियमित बैठकों को सार्थक तथा मूल्यवान बनाना सांसदों की जिम्मेदारी है। अगर इस तरह से सांसद बैठकों से या सदन की कार्यवाही से गैरहाजिर रहेंगे तो इन समितियों का क्या कोई औचित्य रह जाएगा? इससे समितियां महत्त्वहीन हो जाती हैं।
बाद में इन्हीं सांसदों द्वारा कतिपय विषयों पर अनावश्यक रूप से सवाल उठाये जाते हैं और विलाप किया जाता है। संक्षेप में यही कहा जा सकता है की सांसदों को संसदीय समितियों की बैठकों में सक्रिय रूप से उपस्थित रह कर अपना सहयोग व योगदान प्रदान करना चाहिए, तभी इनका महत्त्व कायम रह सकेगा।
इशरत अली क़ादरी, खानूगांव, भोपाल।
बढ़ते सड़क हादसे
विश्व में सड़क हादसों में सर्वाधिक मौतें भारत में होती है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार लगभग हर चार मिनट में एक मौत। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि भारत में अब तक हुए युद्धों में जितने जवान शहीद हुए हैं उससे भी अधिक लोग हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में इतने लोग सीमा पर या आतंकी हमलों में नहीं मारे जा रहे, जितने सड़कों पर गड्ढों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं के कारण मारे जा रहे हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार बीते एक दशक में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में चौदह लाख से भी अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें लगभग सत्तर फीसद नौजवान थे। इस अवधि में साठ लाख से भी अधिक लोग सड़क हादसों में घायल हुए। अत: इस तरह वर्ष दर वर्ष लाखों लोगों की जान जाना मानव संसाधन का भारी नुकसान कहा जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश की जीडीपी को नुकसान हो रहा है।
ऐसे में यह केंद्र सरकार सहित हमारी राज्य सरकारों का भी दायित्व है कि वह अपने देश के नागरिकों के अमूल्य जीवन को बचाने के लिए सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात नियमों का कठोरता से पालन करवाएं। इसके अलावा खराब सड़के हादसों का बड़ा कारण बनती हैं। सड़कों के रखरखाव को लेकर सरकारें कितनी लापरवाह हैं, यह जगजाहिर है। अत्याधुनिक हाइवे तक जरा सी बारिश में धंस जाने की खबरें आम हो गई हैं। इसके अलावा शहरों, कस्बों में सड़कों पर गड्डों की समस्या कोई कोई नई नहीं है। ऐसे में कैसे रुकेंगे सड़क हादसे?
एमएम राजावत राज, शाजापुर (मप्र)