नौकरी या काम नहीं मिलने से हताश लोगों द्वारा खुदकुशी की खबरें आए दिन आती रहती हैं। यह मामला जितना गंभीर है, उतना ही इसे हल्का मानते हुए नजरअंदाज कर दिया जाता है। हालात देख कर तो लगता है कि बेरोजगारी से तंग लोगों द्वारा ऐसा आत्मघाती कदम उठाना सरकारों के लिए कोई गंभीर बात नहीं है। आज हर राज्य में युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती तो यही है कि उसे रोजगार नहीं मिल रहा। जहां थोड़ी-बहुत नौकरियां निकलती भी हैं वहां पेपर लीक होने और भाई-भतीजावाद जैसी समस्याएं विकराल रूप धारण कर चुकी हैं।
सृष्टि मौर्य, फरीदाबाद

खालिस्तान के नारे

पंजाब में सिद्धू मूसेवाला की हत्या की गुत्थी अभी सुलझी भी नहीं कि अमृतसर में खालिस्तान जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे। श्री अकाल तख्त के बाहर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए। माला साहिब में गतका अखाड़े तैयार किए गए थे। पंजाब के लिए ये सब अच्छे पंजाब संकेत नहीं लग रहे हैं। गैंगस्टर के बाद खालिस्तान समर्थक सीधे अरदास की पवित्र जगह पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं।

यह भगवंत मान सरकार के लिए कम बड़ी चुनौती नहीं है। गौरतलब है कि चुनाव से पहले मान कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए राज्य की कानून-व्यवस्था को लचर बताते रहे थे। कांग्रेस के शासन में भी नसीली दवाओं की तस्करी जोरों पर थी। खालिस्तानी गुट सक्रिय हो ही रहे थे। कनाडा में बैठ कर नसीले पदार्थों का धंधा करने वालों के तार आतंकवादियों से जुड़े ही रहे हैं। अब खालिस्तान के नारों से पंजाब में कानून को बड़ी चुनौती दी जा रही है। यह गंभीर चिंता की बात है। अगर सरकार अभी नहीं चेती तो आने वाले दिन पंजाब के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकते हैं।
कांतिलाल मांडोत, सूरत

जलवायु संकट

जलवायु परिवर्तन की वजह से बाढ़, सूखा, बेमौसम बरसात, आंधी, तूफान, जंगली आग जैसी आदि प्राकृतिक आपदाओं में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। धरती का बढ़ते तापमान ने मानव सहित सभी जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर दिया है। विगत पच्चीस वर्षों में आठ हजार से ज्यादा प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। कई प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में है। गौरैया को बचाने के लिए गौरैया दिवस मनाने की जरूरत पड़ रही है।

तापमान में बढ़ोतरी की वजह से समुद्र का जल स्तर बढ़ता जा रहा है। दरअसल, जलवायु परिवर्तन की मुख्य वजह प्रकृति का अंधाधुंध दोहन है। प्रकृति हमारी सभी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, लेकिन लालच को कोई नहीं पूरा कर सकता। जलवायु परिवर्तन के लिए हर नागरिक जिम्मेदार है। यदि समय रहते हम अपनी आदतों में बदलाव नहीं लाएंगे तो आने वाले समय में हमारे अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा खड़ा हो जाएगा।
हिमांशु शेखर, केसपा, गया