आजकल चुनाव प्रचार में जिस प्रकार की भाषा शैली का इस्तेमाल हो रहा है, उससे यही लगता है कि भाषा का स्तर गिरता जा रहा है। नेता समाज को आईना दिखाने काम करते हैं, अगर वही अपने ऊपर संयम नहीं रखेंगे, तो उनके प्रशंसकों के बीच भी गलत संदेश जाएगा और समाज में एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ शुरू हो जाएगी।
नागेंद्र, मेरठ
मतांतरण का खेल
एक तरफ उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में विधानसभा चुनाव के कारण जातिगत माहौल गरमाया हुआ है, वहीं दूसरी ओर दक्षिण भारत में धार्मिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश चरम पर है। विद्यालयों में हिजाब पहनना चाहिए कि नहीं, इस पर चर्चा चल रही है। वहीं तमिलनाडु के तंजावुर जिले में मिशनरी के मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर एक लड़की आत्महत्या को मजबूर हो जाती है।
उस बच्ची को न्याय दिलाने के लिए न तो कोई राजनीतिक पार्टी सामने आती है, न ही तथाकथित पत्रकार कुछ बोल रहे हैं और न ही तथाकथित नारीवादी समाजसेवी! तमिलनाडु की स्टालिन सरकार मिशनरियों के सामने घुटने टेके नजर आ रही है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि स्वामी विवेकानंद की इस धरती पर जबरन मतांतरण का खेल पूर्ण गति के साथ चल रहा है। शिकागो धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने मिशनरी द्वारा किए जा रहे धर्मांतरण की आलोचना करते हुए कहा था कि धर्म भारत की प्रधान आवश्यकता नहीं है। धर्म व्यक्तिगत स्वतंत्रता है। जब इस पर सामूहिक शक्ति हावी होने लगती है, तो यह अपराध का रूप ले लेता है।
- प्रियांक देव, नई दिल्ली
घातक क्षेत्रवाद
भारत के हर नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में आने-जाने और कार्य करने की आजादी है, लेकिन इसके बाद भी कुछ राजनीतिक दल लंबे समय से क्षेत्रवाद की राजनीति करते आए हैं, जिसमें ये दल क्षेत्र विशेष के लोगों को अपने राज्य में आकर रहने और रोजगार करने का विरोध करते हैं, लेकिन इस तरह के दल या तो धीरे-धीरे समाप्त हो गए या फिर उन्होंने क्षेत्रवाद की राजनीति ही छोड़ दी है।
वर्तमान में एक बड़ा राष्ट्रीय राजनीतिक दल कांग्रेस जो बात-बात पर संविधान बचाओ का नारा लगाने लगता हैं उसी दल के पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक बयान दिया है, जो क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है, जिसमें उन्होंने कहा कि जो यूपी, बिहार और दिल्ली से आकर पंजाब में राज करना चाहते हैं, उनको सफल नहीं होने देना है। इस तरह का बयान निश्चित ही देश की संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है। बार-बार संविधान की दुहाई देने वाले कांग्रेसी खुद ही संविधान द्वारा दी गई स्वतंत्रता पर निजी स्वार्थ के लिए आघात करना चाहते हैं, जो कि निंदनीय है और देश की सम्रद्धि और संप्रभुता के लिए भी खतरा है।
- सुनील विद्यार्थी, मेरठ